Kundli Tv- जानें, संकष्टी चतुर्थी पर क्यों पूजा जाता है गणपति को ?

Edited By Lata,Updated: 26 Nov, 2018 10:57 AM

sankashti chaturthi

सोमवार दिनांक 26.11.18 को मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्थी पर संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। शास्त्रनुसार भगवान गणेश, चतुर्थी के स्वामी है।

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सोमवार दिनांक 26.11.18 को मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्थी पर संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। शास्त्रनुसार भगवान गणेश, चतुर्थी के स्वामी है। अतः चतुर्थी गणेशजी को अत्यधिक प्रिय है। अगहन चतुर्थी में गणेश के गणाधिप स्वरूप के पूजन का विधान है। गणाधिप का अर्थ है गणों के अधिपति अतः ये महादेव के गणों के मुख्य अधिपति हैं। इस स्वरूप में इनका वर्ण गहरा लाल है। ये एकदंत है व गजमुख हैं। मूषक पर सवार लंबोदर ने गहरे लाल रंग से वस्त्र पहने हुए हैं। इनके मस्तक पर लाल चंदन का त्रिपुंड है व इनकी दोनों पत्नि ऋद्धि-सिद्धि इनके साथ हैं। देवर्षि के उपदेश से इन्होंने भूमि पर 'राम' लिखकर उसकी प्रदक्षिणा की थी, जिससे ब्रह्मदेव ने उन्हें प्रथम पूज्य बनाया था। अगहन में गणेश पूजन के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर जौ, तिल, चावल, चीनी, घी का शाकला बनाकर हवन करने से शत्रु वशीभूत हो जाता है। हर कार्य निर्विघ्न सम्पूर्ण होता है व कर्ज़ों से मुक्ति मिलती है।
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स्पेशल पूजन विधि: घर की उत्तर-पूर्व दिशा में लाल कपड़ा बिछाकर, तांबे के लोटे में जल, दूध, अक्षत, सुपारी, सिक्के, इत्र डालकर तथा लोटे के मुख पर अशोक के पत्ते पर श्रीफल रखकर गणाधिप कलश स्थापित करें। साथ ही गणेशजी का चित्र व यंत्र रखकर षोडशोपचार पूजन करें। गाय के घी में सिंदूर मिलाकर दीपक करें, चंदन की धूप करें, लाल चंदन से कलश पर त्रिपुंड बनाएं, लाल कनेर के फूल चढ़ाएं, 4 अंजीर चढ़ाएं, मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं। रुद्राक्ष की माला से 108 बार यह विशेष मंत्र जपें। शाम के समय चंद्रोदय के समय तांबे के लोटे में जल, इत्र, हल्दी, चंदन, रोली मिलाकर चंद्रमा को अर्ध्य दें व भोग प्रसाद स्वरूप सभी में वितरित करें।
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स्पेशल मंत्र: ॐ गणाधिपं गणनाथम् गजाननम् नमः॥

सुबह का पूजन मुहूर्त: सुबह 09:35 से सुबह 10:35 तक।

शाम का पूजन मुहूर्त: शाम 17:38 से शाम 18:38 तक।

चंद्रोदय पूजन मुहूर्त: रात 20:35 से रात 21:35 तक।

स्पेशल टोटके: 
विघ्नों के विनाश के लिए:
लाल मौली में बंधी 12 दूर्वा गणपति पर चढ़ाएं।
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कर्ज़ों से मुक्ति के लिए: गणपति पर 4 बिल्व गिरि चढ़ाकर तिजोरी में स्थापित करें। 

शत्रुओं को वशीभूत करने के लिए: जौ, तिल, चावल, चीनी, घी का शाकला बनाकर गणपति का हवन करें।

गुडलक के लिए: गेहूं हाथ में लेकर "ॐ दूर्वाबिल्वप्रियाय नमः" मंत्र का 21 बार जाप करें।

विवाद टालने के लिए: गुड़-दही के घोल में अपनी छाया देखकर किसी कुत्ते को खिलाएं।

नुकसान से बचने के लिए: गणपति पर 12 सफ़ेद फूल चढ़ाएं।

एजुकेशन में सक्सेस के लिए: गणपति पर चढ़ा रेड पेन इस्तेमाल करें।
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बिज़नेस में सक्सेस के लिए: गणपति पर चढ़े अक्षत ऑफिस की डेस्क में रखें।

पारिवारिक खुशहाली के लिए: संध्या के समय गणपति की कपूर-चंदन जलाकर आरती करें।

लव लाइफ में सक्सेस के लिए: गणपति पर चढ़ी मौली अपनी लेफ्ट कलाई पर बांधें।

मैरिड लाइफ में सक्सेस के लिए: दंपत्ति गणपति पर लाल फूलों की माला चढ़ाएं।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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