ये है सूर्य अर्घ्य का वैज्ञानिक रहस्य

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Jan, 2019 03:31 PM

scientific secrets of sun arghya

स्वस्थ रहने के लिए जितनी शुद्ध हवा आवश्यक है, उतना ही प्रकाश भी आवश्यक है इसीलिए कहा जाता है कि प्रकाश में मानव शरीर के कमजोर अंगों को फिर से बलशाली और एक्टिव बनाने की अद्भुत क्षमता है।

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स्वस्थ रहने के लिए जितनी शुद्ध हवा आवश्यक है, उतना ही प्रकाश भी आवश्यक है इसीलिए कहा जाता है कि प्रकाश में मानव शरीर के कमजोर अंगों को फिर से बलशाली और एक्टिव बनाने की अद्भुत क्षमता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर हमारे पूर्वजों ने सूर्य को अर्घ्य देने का विधान बनाकर इसे धार्मिक रूप दे दिया। सुबह प्रभात बेला में या संध्योपासना कर्म और पूजा-अर्चना में सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। हाथ की अंजुलि में जल लेकर तथा गायत्री मंत्र बोलते हुए सूर्य की ओर मुंह करके सूर्य को जल समर्पित करना ‘सूर्य अर्घ्य’ कहा जाता है। सूर्य के महत्व से सभी परिचित हैं। सूर्य से ही प्रकाश है। वेदों में सूर्य को आंख कहा गया है।
PunjabKesari, Surya Arghya, Surya Dev, Lord Surya, सूर्य अर्घ्य, सूर्य देवसूर्य में सात रंग की किरणें हैं। इन सप्तरंगी किरणों का प्रतिबिंब जिस किसी भी रंग के पदार्थ पर पड़ता है, वहां से वे पुन: वापस लौट जाती हैं लेकिन काला ही ऐसा रंग है जिसमें से सूर्य की किरणें वापस नहीं लौटतीं। हमारे शरीर में भी अलग-अलग रंगों की विद्युत किरणें होती हैं, अत: जिस रंग की कमी हमारे शरीर में होती है, सूर्य के सामने जल डालने यानी अर्घ्य देने से वे उपयुक्त किरणें हमारे शरीर को प्राप्त हो जाती हैं क्योंकि आंखों की पुतलियां काली होती हैं, जहां से सूर्य  की किरणें वापस नहीं लौटतीं, अत: वह कमी पूरी हो जाती है। वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया है कि सूर्य की किरणों का प्रभाव जल पर बहुत जल्दी पड़ता है, इसलिए सूर्य को अभिमंत्रित जल का अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य को अर्घ्य देने का यही वैज्ञानिक रहस्य है।

PunjabKesari, Surya Arghya, Surya Dev, Lord Surya, सूर्य अर्घ्य, सूर्य देवएक और कारण सूर्य अर्घ्य का यह है कि सूर्य का सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य से है। सूर्य एक प्राकृतिक चिकित्सालय है। उससे हमारी चिकित्सा होती है। सूर्य की सप्तरंगी किरणों में अद्भुत रोगनाशक शक्ति है। सुबह से शाम तक सूर्य अपनी किरणों से, जिनमें औषधीय गुणों का अपार भंडार है, अनेक रोग पैदा करने वाले कीटाणुओं का नाश करता है।

PunjabKesari, Surya Arghya, Surya Dev, Lord Surya, सूर्य अर्घ्य, सूर्य देववैज्ञानिक प्रयोगों से यह सिद्ध हो चुका है कि जो टी.बी. के कीटाणु उबलते पानी से भी जल्दी नहीं मरते, वे सूर्य के तेज प्रकाश से शीघ्र नष्ट हो जाते हैं फिर दूसरे जीवाणुओं का नाश होने में संदेह ही क्या है इसलिए जब हम सूर्य के सामने खड़े होकर जल से अर्घ्य देते हैं तो सूर्य की किरणें हमारे शरीर पर पड़ती हैं, जिससे रोग उत्पादक सूक्ष्म-से-सूक्ष्म जीवाणु भी नष्ट हो जाते हैं। इस प्रकार सूर्य की किरणें रोगाणुओं से हमारी रक्षा करती हैं।
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स्वस्थ रहने के लिए जितनी शुद्ध हवा आवश्यक है, उतना ही प्रकाश भी आवश्यक है। इसीलिए कहा जाता है कि प्रकाश में मानव शरीर के कमजोर अंगों को फिर से मज़बूत और एक्टिव बनाने की अद्भुत क्षमता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर ही हमारे पूर्वजों ने सूर्य को अर्घ्य देने का विधान बनाकर इसे धार्मिक रूप दे दिया।
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