Edited By Jyoti,Updated: 29 Sep, 2019 09:04 AM
पितृ पक्ष के समापन के ठीक अगले दिन यानि आज से आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्रि का पर्व आरंभ हो गया है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
पितृ पक्ष के समापन के ठीक अगले दिन यानि आज से आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्रि का पर्व आरंभ हो गया है। मान्यता है कि देवी भगवती को खुश करने के लिए साल में पड़ने वाले यूं तो चारों नवरात्रि काल बहुत उत्तम होते हैं परंतु प्रतिपदा तिथि से शुरू होने वाले शारदीय नवरात्रि को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। कहा जाता है माता रानी जिस पर प्रसन्न हो जाती हैं उस जातक की झोली सदा के लिए खुशियों से भर जाती हैं। यही कारण है कि हिंदू धर्म के लोगों के लिए नवरात्रि का अधिक महत्व है।
धार्मिक शास्त्रों के साथ-साथ ज्योतिष शास्त्र में देवी को प्रसन्न करने के उपायों के साथ उनके पूजन की सही विधि विस्तार पूर्वक बताई गई है। इसके साथ ही इसमें कुछ ऐसे नियम बताए गए हैं जिनका देवी पूजन में प्रयोग करना अति आवश्यक होता है। इन्हीं नियमों में आता है कि माता रानी के 16 श्रृंगार करना।
तो आइए जानते हैं माता रानी केे 16 श्रृंगार में शामिल होती हैं कौन सी सामग्री और साथ ही साथ जानेंगे इसका महत्व।
16 श्रृंगार की सामग्री
लाल चुनरी, चूड़ी, बिछिया, इत्र, सिंदूर, महावर, बिंदी, मेहंदी, काजल, चोटी, मंगल सूत्र या गले के लिए माला, पायल, नेलपॉलिश, लाली, कान की बाली और चोटी में लगाने के लिए रिबन।
ऐसे करें देवी का श्रृंगार
देवी दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करने के लिए एक चौकी लाएं, उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर माता रानी को स्थापित कर दें। इसके बाद मां को टीका लगाकर एक-एक करके श्रृंगार का सभी सामग्री देवी को अर्पित कर दें।
16 श्रृंगार का महत्व
मान्यता है कि जो भी जातक नवरात्रि में माता रानी का 16 श्रृंगार करता है, उसके घर में कभी सुख समृद्धि की कमी नहीं होती। महिलाओं को ऐसा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। बता दें जो विवाहित महिला देवी का 16 श्रृंगार करती हैं, उसे खुद भी 16 श्रृंगार करना चाहिए। माना जाता है ऐसा करने से मां जल्द प्रसन्न होती हैं।