Edited By Lata,Updated: 12 Mar, 2020 11:00 AM
होली का पर्व हर किसी के लिए बहुत ही खास होता है। यहीं वे त्योहार होता है, जिस दौरान इंसान अपना हर दुख व ग
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होली का पर्व हर किसी के लिए बहुत ही खास होता है। यहीं वे त्योहार होता है, जिस दौरान इंसान अपना हर दुख व गम भूलकर दुश्मनों को भी गले लगाकर रंगों के पर्व को मनाता है। होली का त्योहार बीत जाने के बाद आने वाली सप्तमी या अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है और जिसे बसौड़ा भी कहा जाता है। इस खास दिन के ठीक एक दिन पहले मां शीतला को भोग लगाने के लिए कई तरह के पकवान तैयार किए जाते हैं और अष्टमी तिथि पर बासी भोग लगाकर खुद ग्रहण किया जाता है। ये पर्व खासतौर पर उत्तर भारत के कई राज्यों में मनाया जाता है। आज हम आपको इस दिन जपे जाने वाले खास मंत्र के बारे में बताने जा रहे है, जिसका जाप करने से आपकी हर पूजा का फल मिलेगा।
मंत्र
'ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः''
वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्।
मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।।
अर्थात मैं गर्दभ पर विराजमान, दिगंबरा, हाथ में झाड़ू तथा कलश धारण करने वाली, सूप से अलंकृत मस्तक वाली भगवती शीतला की वंदना करता हूं। इस वंदना मंत्र से यह पूर्णत: स्पष्ट हो जाता है कि ये स्वच्छता की अधिष्ठात्री देवी हैं। हाथ में झाड़ू होने का अर्थ है कि हम लोगों को भी सफाई के प्रति जागरूक होना चाहिए। कलश में सभी तैतीस करोड़ देवी देवाताओं का वास रहता है, अतः इसके स्थापन-पूजन से घर-परिवार में समृद्धि आती है।