Skanda Shashti 2020: संतान के जीवन में आ रहे कष्टों को कम करते हैं भगवान कार्तिकय

Edited By Jyoti,Updated: 25 Jun, 2020 12:08 PM

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26 जून आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी का व्रत मनाया जाएगा। धार्मिक कथाओं व मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है

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26 जून आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी का व्रत मनाया जाएगा। धार्मिक कथाओं व मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। बता दें इस दिन भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय की पूजा करने का विधान है। वैसे तो ये व्रत लगभग हर जगह मनाया जाता है परंतु मुख्य रूप से इसे दक्षिण भारत के राज्यों में धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव तथा देवी पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र की पूजा से जीवन में सुख और वैभव की वृद्धि होती है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर इस दिन शुभ मुहूर्त में भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाए तो लाभ प्राप्त होता है। तो आइए जानते हैं स्कंद षष्ठी की पूजा का शुभ मुहूर्त साथ ही जानेंगे इस दिन क्या करना चाहिए क्या नहीं।
 

स्कंद षष्ठी व्रत का मुहूर्त
स्कंद षष्ठी प्रारम्भ - सुबह 7 बजकर 2 मिनट से (26 जून 2020)
स्कंद षष्ठी समाप्त - सुबह 5 बजकर 3 मिनट तक (27 जून 2020)

ऐसे करें इस दिन की शुरुआत-
प्रातः उठकर सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें, इसके बाद स्नान-ध्यान कर व्रत का संकल्प लें। 

घर के पूजा स्थल में मां गौरी और शिव जी के साथ भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें। 
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ध्यान में रहे पूजा की सामग्री में जल, मौसमी फल, फूल, मेवा, कलावा, दीपक, अक्षत, हल्दी, चंदन, दूध, गाय का घी, इत्र आदि ज़रूर शामिल करें।

पूजन संपन्न करके आख़िर में आरती करें। 
संभव हो तो शाम को कीर्तन-भजन पूजा के बाद आरती करें।  इसके पश्चात फलाहार करें।

क्या है स्कंद षष्ठी का धार्मिक महत्व-
कहा जाता है कि स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से जीवन में हर तरह की कठिनाइयां दूर होती हैं। खासतौर पर इस दिन पूजा के परिणाम स्वरूप संतान के जीवन में आ रहे कष्ट कम होते हैं। बता दें दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को सुब्रह्मण्यम के नाम से जाना जाता है, जिनका प्रिय पुष्प चंपा है, जिस कारण इस व्रत को चंपा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।
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