प्रेरक प्रसंग- भगवान के समान होता है गुरु

Edited By Jyoti,Updated: 06 Feb, 2021 05:10 PM

swami vivekananda teachings

एक बार स्वामी विवेकानंद एक रेलवे स्टेशन पर बैठे थे। उनका अयाचक व्रत (ऐसा व्रत जिसमें किसी से मांग कर  भोजन  नहीं किया  जाता)  था।

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एक बार स्वामी विवेकानंद एक रेलवे स्टेशन पर बैठे थे। उनका अयाचक व्रत (ऐसा व्रत जिसमें किसी से मांग कर  भोजन  नहीं किया  जाता)  था।  वह  व्रत  में किसी से कुछ मांग भी नहीं सकते थे।

एक व्यक्ति उन्हें चिढ़ाने के उद्देश्य से उनके सामने खाना खा रहा था। स्वामी जी दो दिन से भूखे  थे और वह व्यक्ति कई तरह के पकवान खा रहा था और बोलता जा रहा था कि बहुत बढिय़ा मिठाई है। विवेकानंद ध्यान की स्थिति में थे और अपने गुरुदेव को याद कर रहे थे।

दोपहर का समय था। उसी नगर में एक सेठ को भगवान राम ने दर्शन दिए और कहा कि रेलवे स्टेशन पर मेरा भक्त एक संत आया है, उसे भोजन कराकर आओ, उसका अयाचक व्रत है। सेठ ने सोचा यह महज कल्पना है। सेठ फिर से करवट बदल कर सो गया। भगवान ने दोबारा दर्शन दिए और सेठ से कहा जाओ और संत को भोजन कराकर आओ।

तब सेठ सीधा विवेकानंद के पास पहुंच गया और उनसे बोला कि मैं आपके लिए भोजन लाया हूं। सेठ बोला, आपके कारण मुझे भगवान राम जी के दर्शन सपने में हो गए इसलिए मैं आपको प्रणाम कर रहा हूं। विवेकानंद की आंखों में आंसू आ गए और वह सोचने लगे कि मैंने याद तो अपने  गुरुदेव को किया था। गुरुदेव और ईश्वर की कैसी महिमा है। तब उन्हें लगा कि गुरु ही ईश्वर है।

प्रस्तुति-संतोष चतुर्वेदी
 

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