Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Dec, 2022 07:35 AM
भारत की प्राचीन संस्कृति, समाज और परिवार में अपने गांव या शहर से दूर जाना अथवा विदेश जाना अच्छा नहीं समझते थे। पढ़ाई के लिए आश्रम या गुरुकुल में जाना ज्यादा अच्छा समझते थे। परिस्थितियां बदलीं और
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Foreign settlement astrology: भारत की प्राचीन संस्कृति, समाज और परिवार में अपने गांव या शहर से दूर जाना अथवा विदेश जाना अच्छा नहीं समझते थे। पढ़ाई के लिए आश्रम या गुरुकुल में जाना ज्यादा अच्छा समझते थे। परिस्थितियां बदलीं और उसके साथ बदला लोगों का जीवन जीने का तरीका। आज के आधुनिक भारत में अधिकतम लोग अधिक धन लाभ की प्राप्ति, पढ़ाई, किसी खास क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने या घूमने के लिए विदेश यात्रा करते हैं, लेकिन हर व्यक्ति की सोच के साथ उसके भाग्य का साथ होता है जिसे हम ज्योतिष शास्त्र में वर्णित कुछ योगों द्वारा जान सकते हैं-
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Foreign travel yog: यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में भाग्येश 12वें भाव में हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है।
Can I go abroad according to kundli: यदि कुंडली में भाग्येश द्वादश भाव में स्थित हो तथा लग्नेश, द्वादशेश, पंचमेश ग्रहों का योग सप्तम भाव में बनता हो तो जातक कई बार विदेश यात्रा करता है।
जन्म कुण्डली में छठे और आठवें भावों का स्वामी द्वादश स्थान में हो तो जातक दूर देशों की यात्रा करने वाला होता है।
द्वादश स्थान में चर राशि एवं चर ग्रह पड़े हों तथा उन पर शनि की दृष्टि हो तो जातक अनेक देशों की यात्रा करता है।
Success in foreign land in astrology: जातक की कुंडली में जन्म लग्न चर राशि का हो, लग्नेश भी चर राशि में हो तथा लग्न को चर राशिगत ग्रह देखते हों तो इस प्रकार का योग रखने वाला जातक विदेश यात्रा करने के साथ-साथ विदेश में अच्छी सफलता प्राप्त करता है।