Kundli tv- आपके डिनर का ये हैं सही समय

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Dec, 2018 12:06 PM

this is the right time for your dinner

सभी धर्मों में भोजन करने से संबंधित अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार नियम बनाए गए हैं जैसे खाने से पहले पानी पीना अच्छा होता है, बीच में मध्य अौर भोजन के बाद निम्न माना जाता है। भोजन से पहले आधा घंटा पहले, मध्य में एक बार और खाने के बाद लगभग पौने घंटे...

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सभी धर्मों में भोजन करने से संबंधित अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार नियम बनाए गए हैं जैसे खाने से पहले पानी पीना अच्छा होता है, बीच में मध्य अौर भोजन के बाद निम्न माना जाता है। भोजन से पहले आधा घंटा पहले, मध्य में एक बार और खाने के बाद लगभग पौने घंटे बाद पानी पीना चाहिए। सुबह से शाम तक के लिए अलग-अलग नियम और सिद्धांत बनाए गए हैं। जिनके वैज्ञानिक कारण भी हैं। जैन धर्म में इस नियम को बहुत सख्ती के साथ फॉलो किया जाता है। आयुर्वेद में कहा गया है सूर्यास्त से पहले खाना खा लेना चाहिए। कहते हैं कुछ पशु और पक्षी भी सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करते। प्राचीन समय में मनुष्य भी सूर्यास्त से पहले खाना खा लते थे परंतु आग के अविष्कार के बाद भोजन करने की आदत में थोड़ा बदलाव हुआ लेकिन बिजली के अविष्कार के बाद आदतें पूरी तरह से बदल गई। सूर्यास्त के बाद भोजन करने वाले को निशाचर यानि राक्षस कहते हैं परंतु इंसान निशाचर प्राणी नहीं है। बहुत से इंसानों को यह पता नहीं है कि सूर्यास्त से पहले भोजन करने का क्या कारण हैै। व्यक्ति स्वस्थ रहे इसके लिए नियम बनाया गया है। जिसके 4 हैं-
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पहला कारण:  सूर्यास्त से पहले खाना खाने से भोजन को पचने के लिए सुबह तक उचित समय मिल जाता है। जिससे पाचन तंत्र तंदुरुस्त रहता है।

दूसरा कारण : इस समय भोजन करने से कई प्रकार के रोगों से बचाव हो जाता है। रात के समय भोजन में बैक्टीरिया और अन्य जीव चिपक जाते हैं या खुद पैदा हो जाते हैं।
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तीसरा कारण : सूर्य ढलने के बाद मौसम में नमी की मात्रा बढ़ने के कारण सूक्ष्म जीव और बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं। दिन के समय सूर्य की तपश के कारण ये पनपते नहीं लेकिन सूर्यास्त के बाद नमी बढ़ने से ये सक्रिय हो जाते हैं।
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चौथा कारण:  सूर्यास्त के बाद पेड़-पौधे, पशु-पक्षी अपने-अपने घर चले जाते हैं। भोजन की प्रकृति में भी परिवर्तन आता है अौर खाने में मौजूद गुण या पोषक तत्व नष्ट होने लगते हैंं। सूरज ढलने के बाद खाना बासी और दूषित होना शुरु हो जाता है। जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
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वास्तुशास्त्र में भोजन के लिए प्रयोग लिए जाने वाले बर्तनों के बारे में कहा गया है की वह एकदम साफ होने चाहिए। गंदे अथवा धूल-मिटटी चढ़े हुए बर्तन इस्तेमाल में नहीं लाने चाहिए। घर में टूटे-फूटे बर्तन नहीं रखने चाहिए। यदि किसी पात्र में कोई खरोंच आदि जैसा निशान भी आ जाए तो भी उसे भोजन करने के लिए इस्तेमल नही करना चाहिए। खाना खाने और बनाने के लिए पूर्व दिशा सबसे उत्तम है।
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