Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Oct, 2017 02:38 PM
एक बार मगध के एक व्यापारी को व्यापार में बहुत लाभ हुआ परन्तु व्यापार में हुए लाभ के बाद से वह अपने यहां काम करने वालों से
एक बार मगध के एक व्यापारी को व्यापार में बहुत लाभ हुआ परन्तु व्यापार में हुए लाभ के बाद से वह अपने यहां काम करने वालों से अहंकारपूर्ण व्यवहार करने लगा। उस व्यापारी को देखते हुए उसके परिजन भी अहंकार के वशीभूत हो गए। परिणामस्वरूप जब सभी के अहंकार आपस में टकराने लगे तो घर का वातावरण नर्क की तरह हो गया।
रोज-रोज के अहंकारों के टकराने से दुखी होकर एक दिन वह व्यापारी भगवान बुद्ध के पास पहुंचा और बोला, ‘‘हे भगवन! मुझे इस नर्क से मुक्ति दिलाइए। मैं भी भिक्षु बनना चाहता हूं।’’
भगवान बुद्ध गंभीर स्वर में बोले, ‘‘अभी तुम्हारे भिक्षु बनने का समय नहीं आया है।’’
भगवान बुद्ध ने कहा, ‘‘भिक्षु को पलायनवादी नहीं होना चाहिए। जैसे व्यवहार की अपेक्षा तुम दूसरों से करते हो ऐसा करने से लोगों की विचारधारा शुद्ध होगी और तुम्हारा मकान ही मंदिर बन जाएगा।’’
उस व्यापारी ने भगवान बुद्ध की सीख को अपनाया जिसके परिणामस्वरूप उसके घर का वातावरण स्वत: बदल गया।