Edited By Jyoti,Updated: 26 Jul, 2019 01:02 PM
सावन का महीना भगवान शंकर का सबसे प्रिय माह है। वैसे तो कहते हैं भोलेनाथ वर्ष के पूरे 12 माह ही अपने भक्तों पर अपना आशीर्वाद बरसाते ही रहते हैं।
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सावन का महीना भगवान शंकर का सबसे प्रिय माह है। वैसे तो कहते हैं भोलेनाथ वर्ष के पूरे 12 माह ही अपने भक्तों पर अपना आशीर्वाद बरसाते ही रहते हैं। मगर सावन का महीना एकमात्र ऐसा महीना माना जाता है जिसमें भोलेनाथ बड़े से बड़े अपराधी को क्षमा करके उसकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। मान्यताओं के अनुसार शिव शंभू एकमात्र ऐसे देव हैं जिन्हें प्रसन्न करना सबसे आसान है मगर ऐसा नहीं इन्हें प्रसन्न करना केवल उन लोगों के लिए आसान हैं जिन्हें इनकी साधना व अराधना से जुड़ी बातों के बारे में पता होता है। तो आइए आपको बताते हैं सावन में की जाने वाली शिव की उन आराधनाओं के बारे में जिन्हें सावन मास में करने से बड़े से बड़े कार्य सरलता से सिद्ध हो जाते हैं।
महादेव ने अर्जुन को दिया था यह पाशुपतास्त्र-
कहा जाता है इस पूरे ब्रह्मांड में तीन सबसे बड़े अस्त्र माने गए हैं, जिनमें पहला पशुपतास्त्र, दूसरा नारायणास्त्र एवं तीसरा ब्रह्मास्त्र है। आप सब में ज्यादा तर लोग जानते होंगे कि भगवान शिव का शस्त त्रिशूल है मगर आपको बता दें इसके अलावा महादेव के पास चार शूलों वाला परम शक्तिशाली दिव्य अस्त्र भी है, जिसे पशुपतास्त्र कहते हैं। बताया जाता है महाभारत युद्ध के दौरान विजय की कामना से भगवान शिव की कठिन तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर देवाधिदेव ने अर्जुन को पाशुपतास्त्र प्रदान किया था मगर उसे कहा था कि तुम्हें महाभारत के युद्ध में इसे चलाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसे पास रखने मात्र से ही तुम्हें जीत मिल जाएगी।
अब ज़ाहिर सी बात है आज के समय में तो पशुपतिनाथ यानि भगवान शंकर के इस दिव्य अस्त्र को प्राप्त करना कठिन ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। मगर कहा जाता है अगर जातक सावन का पूरा महीना या केवल सावन के सोमवार आशुतोष भगवान शिव की पूजा कर लें तो वे शत्रुओं पर विजय का आशीर्वाद मिलता है।
शास्त्रों के अनुसार शिव के चमत्कारी शूलास्त्र यानि पाशुपतास्त्र की साधना करन से जातक को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। मगर ध्यान रहे इसकी साधना को केवल महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर या सोमवार के दिन किसी योग्य गुरु के सान्निध्य में विधि-विधान से ही करें और अगर साधना करने में असमर्थ हों तो सावन के सोमवार के दिन पाशुपतास्त्र स्तोत्र का पाठ करें। मान्यता है भगवान शिव को समर्पित यह पाठ चारों दिशा से विजय दिलाता है।
महाकाल की यह साधना
इसके अलावा भगवान शिव समस्त स्वरूपों में महाकाल की साधना सभी प्रकार की सिद्धि और मृत्यु के भय को दूर करती है। सावन महीने में महाकाल की प्रतिदिन और विशेष रूप से सावन के सोमवार उत्तर दिशा की ओर मुख करके साधना करने से लाभ प्राप्त होते हैं।
पुरतान काल में भगवान राम ने की थी शिव साधना
पौराणिक कथाओं के अनुसार पुरातन काल में भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त करने से पहले भगवान शिव की आराधना की थी। मान्यता है इस महासाधना के उपरांत ही प्रभु श्रीराम ने रावण का अंत कर विजय प्राप्त की थी। इस साधना को सावन के किसी भी दिन प्रदोष काल में और विशेष रूप से सावन के सोमवार या शिवरात्रि के दिन करें।