Edited By Jyoti,Updated: 12 May, 2018 03:07 PM
कुछ लोग जगह आदि की कमी के चलते तो कुछ लोग शौक के चलते घर-दुकान आदि के नीचे बेसमेंट अर्थात तहखाना बनवाने लग गए हैं। लेकिन बेसमेंट का निर्माण करवाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए,
कुछ लोग जगह आदि की कमी के चलते तो कुछ लोग शौक के चलते घर-दुकान आदि के नीचे बेसमेंट अर्थात तहखाना बनवाने लग गए हैं। लेकिन बेसमेंट का निर्माण करवाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसके बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी होती है। इसके लिए वास्तु शास्त्र में कुछ महत्वपूर्ण नियम दिए गए हैं। यदि व्यक्ति इन नियमों का पालन करते हुए घर-दुकान के नीचे बेसमेंट का निर्माण करवाए तो उसके जीवन में खुशियों की लहर दौड़ सकती है। आईए जानतें हैं किस दिशा में व किस प्रकार का होना चाहिए घर आदि का बेसमेंट
वास्तु शास्त्र के अनुसार, बेसमेंट बनाने के लिए भू-खंड के उत्तर, पूर्व अथवा उत्तर-पूर्व कोण का उपयोग करना सबसे अच्छा रहता है। भू-खंड के बीचो-बीच, पश्चिम व दक्षिण दिशा में बेसमेंट बनवाना अशुभ होता है। इससे धन की कमी, रोग, व्यापार में नुकसान जैसी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है। उत्तर-पश्चिम दिशा में बेसमेंट बनवाने से आलस्य, अस्थिरता और चोरी होने का भय बना रहता है।
भू-खंड के अंदर बेसमेंट की ऊंचाई कम से कम नौ फीट होने के साथ-साथ बेसमेंट का कुछ भाग भू-खंड की सतह से ऊपर की तरफ निकला रहना चाहिए, जिससे कि बेसमेंट में सूर्य का प्रकाश एवं सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह निरंतर बना रहे। बेसमेंट में सूर्य का प्रकाश पहुंचना संभव न हो, तो कृत्रिम रूप से दर्पण के माध्यम से सूर्य की रोशनी वहां पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
इसके समीप भूतल के आगे-पीछे सटी हुई चारदीवारी नहीं होनी चाहिए। कम से कम पूर्व या पश्चिम दिशा का सीधा संपर्क बेसमेंट से होना चाहिए। बेसमेंट में काला, नीला या दूसरा कोई गहरा रंग न करा कर हल्का पीला, हरा, सफ़ेद या क्रीम रंग ही कराना चाहिए। ऐसा न करने पर बेसमेंट के उपयोग से अपेक्षित लाभ नहीं मिल सकेगा और वहां जाने पर मानसिक तनाव भी होगा।
लाभ
बेसमेंट का उपयोग कभी भी रहने के उद्देश्य से नहीं किया जाना चाहिए, अन्यथा स्वास्थ्य खराब होने के अलावा बनते हुए कामों में रुकावट भी आ सकती है। व्यवसाय, धर्म, अध्यात्म, पूजा-पाठ, गोदाम और सामान के भंडारण के लिए ही बेसमेंट का उपयोग किया जाना चाहिए।
बेसमेंट में भारी सामान और कबाड़ दक्षिण एवं पश्चिम में ही रखें। पूर्व, उत्तर एवं ईशान कोण को खाली और स्वच्छ बनाए रखें। इस दिशा में पानी से भरा मिट्टी का मटका या भूमि गत पानी की टंकी रख सकते हैं। यदि इस ओर खिड़कियां या रोशनदान हों, तो बहुत अच्छा है। बेसमेंट के मुख्य द्वार पर विंड चाइम लगाना भी उत्तम माना गया है। इससे वहां सदैव सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी।
ध्यान रखें
बेसमेंट में उतरने के लिए सीढि़यां ईशान कोण या पूर्व दिशा में होनी चाहिए। बेसमेंट में टॉयलेट या बाथरूम नहीं बनवाना चाहिए। जहां तक हो सके, बेसमेंट में प्राकृतिक प्रकाश आना चाहिए।