Edited By Jyoti,Updated: 29 Jul, 2022 09:28 AM
महाभारत के बारे में आप सब जानते ही हैं, लेकिन इसके बहुत से ऐसे पात्र हैं जिनसे लोग आजभी अंजान है। आज हम आपको महाभारत के उस पात्र के बताने जा रहे हैं, जिन्हें विद्वान माना जाता है। दरअसल हम बात कर रहे हैं महान विद्वान व नीतिकार महात्मा विदुर की,...
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महाभारत के बारे में आप सब जानते ही हैं, लेकिन इसके बहुत से ऐसे पात्र हैं जिनसे लोग आजभी अंजान है। आज हम आपको महाभारत के उस पात्र के बताने जा रहे हैं, जिन्हें विद्वान माना जाता है। दरअसल हम बात कर रहे हैं महान विद्वान व नीतिकार महात्मा विदुर की, जिनको न केवल ज्ञान था, बल्कि वो अपने ज्ञान के बलबूते भविष्य तक देख पाने में समर्थ थे। इनकी बताई गई भविष्यवाणी से पांडव कई बार दुर्योधन की साजिशों के शिकार होने से बचे थे। बता दें महात्मा विदुर हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री, कौरवों और पांडवों के काका भी थे। धर्म ग्रंथोंकेअनुसार इनमें में राजा बनने की योग्यता तो थी, परंतु इन्होंने एक दासी के गर्भ से जन्म लिथा था इसलिए ये आजीवन नहीं बन पाए।
इनकी नीतियों से आज भी लोग प्रेरणा लेते हैं और उन्हें अपने जीवन में अमल करते हैं। विदुर नीति सूत्र में अच्छे-बुरे के बीच का अंतर स्पष्ट रूप से बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि इन्हें महाभारत युद्ध का आभास समय से बहुत पहले हो गया था। इस बारे में उन्होंने राजा धृतराष्ट्र को बताया भी दिया था लेकिन धृतराष्ट्र अपने पुत्र के प्रेम में इतने लीन थे कि उन्होंने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया। विदुर द्वारा बताई गई नीतियों में इतनी शक्ति है कि कोई दुष्ट भी अगर उसे सुन लें तो वह भी सच्चाई की राह पर चलने लगता है। तो आइए आपको कुछ ऐसी बातें बताते हैं जिन पर अमल करने से आप कहला सकते हैं बुद्धिमान-
गुरु का अपमान यानि ईश्वर का अपमान
विदुर जी द्वारा बताया गया है कि जो व्यक्ति अपने गुरु का अपमान करता है उस इंसान को भगवान भी माफ नहीं कर सकता। वर्तमान समय की बात करें तो शिष्य जब तक गुरु से शिक्षा प्राप्त करता है तब तक ही उनकी इज्जत करता है, जैसे ही शिक्षा ली वैसे ही गुरु का अपमान करने लग जाता है। यही सब कौरवों ने अपने गुरु के साथ भी किया, शिक्षा ग्रहण करने के बाद कौरवों ने अपने गुरु द्रौणाचार्य का भी अपमान किया। जिस कारण उनका अंत बुरा हुआ था।
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ईर्ष्या करने वाले से रहें सावधान
जो इंसान दूसरों के अच्छे कर्म, धन लाभ और तरक्की से जलता है वे न तो खुद खुश रहता है सामने वाले को खुश नहीं देख सकता। ऐसे लोग दूसरों की खुशी देखकर दुखी ही होते रहते हैं, जिसके कारण वे अपने जीवन में कभी संतुष्ट नहीं हो पाते और दूसरों के काम में बाधा डालने के नए नए तरीकों में लगे रहते हैं।
स्वार्थी लोगों से रहें दूर
इस संदर्भ में बात करने के लिए एक उदाहरण ये है कि आजकल लोग अपने अटके हुए कार्य को दूसरों की मदद से पूरा करने का प्रयास करते हैं,परंतु जैसे ही उनका काम पूरा हो जाता है वो सामने वाला इंसान को भी भूल जाते हैं और उसकी मदद को भी। ऐसे लोग स्वार्थी कहलाते हैं, इनसे बचने में ही भलाई होती है।
ईश्वर से भी बड़ा मां का दर्जा
विदुर जी कहते हैं कि भगवान से भी बड़ा दर्जा मां का होता है। इसलिए इनके सम्मान में कभी किसी प्रकार की ढील नहीं बरतनी चाहिए। जो व्यक्ति मां का सम्मान नहीं करता पर भगवान को प्रसन्न करने के प्रयास करता रहता है, उससे भगवान कभी प्रसन्न नहीं होते।