Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Mar, 2018 02:12 PM
तुम्हारे मन पर सतत् चारों तरफ से तरह-तरह के विचारों का आक्रमण होता है। स्वयं का बचाव करने के लिए हर मन ने प्रतिरोध की एक सूक्ष्म दीवार सी खड़ी कर ली है ताकि ये विचार वापस लौट जाएं, तुम्हारे मन में प्रवेश न करें।
तुम्हारे मन पर सतत् चारों तरफ से तरह-तरह के विचारों का आक्रमण होता है। स्वयं का बचाव करने के लिए हर मन ने प्रतिरोध की एक सूक्ष्म दीवार सी खड़ी कर ली है ताकि ये विचार वापस लौट जाएं, तुम्हारे मन में प्रवेश न करें। मूलत: यह अच्छा है लेकिन धीरे-धीरे ये प्रतिरोध इतने अधिक बड़े हो गए हैं कि अब ये कुछ भी अंदर नहीं आने देते। अगर तुम चाहोगे भी तो भी तुम्हारा उन पर कोई नियंत्रण नहीं चलता। और उन्हें रोकने का वही तरीका है जिस तरह तुम अपने स्वयं के विचारों को रोकते हो।
सिर्फ अपने विचारों के साक्षी बनो और जैसे-जैसे तुम्हारे विचार विलीन होने शुरू होंगे, इन विचारों को रोकने के लिए प्रतिरोधों की जरूरत नहीं पड़ेगी। वे गिरने लगेंगे। ये सारे सूक्ष्म तत्व हैं, तुम उन्हें देख न पाओगे लेकिन तुम्हें उनके परिणाम महसूस होंगे। जो आदमी ध्यान से परिचित है वही सुनने की कला जानता है और इससे उलटा भी सच है कि जो आदमी सुनने की कला जानता है वह ध्यान करना जानता है क्योंकि दोनों एक ही बात है।
सदियों से हर किसी के लिए यह एकमात्र उपाय रहा है, स्वयं की वास्तविकता और अस्तित्व के रहस्य के करीब आने का और जैसे-जैसे तुम करीब आने लगोगे, तुम्हें अधिक शीतलता महसूस होगी, तुम अधिक प्रसन्न अनुभव करोगे, आनंदित अनुभव करोगे। एक बिंदू आता है जब तुम आनंद से इतने भर जाते हो कि उसे तुम पूरी दुनिया के साथ बांटने लगते हो और फिर भी तुम्हारा आनंद उतना ही बना रहता है। तुम बांटते चले जाते हो लेकिन उसे चुकाने का कोई उपाय नहीं है। यहां तुम सिर्फ विधि सीख सकते हो। फिर जब सुविधा हो, तुम्हें उस विधि का उपयोग करना है, जहां कहीं भी, जब भी संभव हो।