दयाल सिंह इवनिंग कॉलेज को अंतत: मिला मॉर्निंग कॉलेज का दर्जा

Edited By Updated: 15 Jul, 2017 12:46 PM

finally the morning college status was given to dayal singh evening college

कईं सालों की लम्बी लड़ाई के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक दयाल सिंह इवनिंग...

नई दिल्ली : कईं सालों की लम्बी लड़ाई के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक दयाल सिंह इवनिंग कॉलेज को अंतत: मॉर्निंग कॉलेज का दर्काा मिल गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने कल देर रात चली अपनी बैठक में इस प्रस्ताव को मंकाूर कर दिया। बैठक की अध्यक्षता कुलपति योगेश त्यागी ने की । लाहौर में 1910 में स्थापित दयाल सिंह कॉलेज आकाादी के बाद दिल्ली में 1958 में सांध्य कालीन कॉलेज के रूप में शुरू हुआ था जिसमें अधिकतर नौकरी पेशा लोग शाम को पढ़ते थे। यह दिल्ली विश्वविद्यालय का तीसरा इवनिंग कॉलेज है जिसे मॉर्निंग कॉलेज की मान्यता मिली है।

इससे अब इस कालेज की कक्षाएं सुबह होंगी।  कॉलेज की संचालन समिति के अध्यक्ष अमिताभ सिन्हा ने यूनीवार्ता को बताया कि वर्षों की एक लम्बी लड़ाई के बाद इस कॉलेज को मॉर्निंग कॉलेज का दर्काा मिला है। दयाल सिंह इवनिंग कॉलेज पहले मंदिर मार्ग में चलता था और उसमें नौकरी पेशा लोग ही पढ़ते थे लेकिन धीरे-धीरे इस कॉलेज में गैर नौकरी पेशा छात्रों की संख्या बढ़ती गयी और उनकी मांग सुबह की क्लास की होने लगी। दिल्ली विश्वविद्यालय में जिस तरह बाहरी छात्रों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी उसे देखते हुए मॉर्निंग कॉलेज की अधिक जरुरत हैं। अंतत: छात्रों की जीत हुए और उनके हितों का ख्याल रखा गया। 


उन्होंने कहा कि एक वर्ग विशेष लगातार इस प्रस्ताव का विरोध कर रहा था लेकिन हमने आठ महीने के भीतर इस लडाई को जीत लिया। दयाल सिंह मॉर्निंग कॉलेज देश के दस टॉप कॉलेज की रैंकिंग में आ गया है। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. पवन कुमार शर्मा का कहना है कि अभी हमारा कॉलेज दयाल सिंह मॉर्निंग के भवन में चलेगा लेकिन हमारा चार मंजिला भवन बन रहा है। भविष्य में हम इसे दस मंजिला तक ले जायेंगे। उन्नीसवीं सदी के प्रसिद्ध समाज सुधारक एवं शिक्षा शास्त्री दयाल सिंह मजीठिया ने पहले इस कॉलेज की स्थापना लाहौर में की थी। उसके बाद हरियाणा में यह कॉलेज खुला और बाद में यह कॉलेज दिल्ली आ गया। 1960 में दयाल सिंह मॉर्निंग कालेज खुला। श्री मजीठिया ने ट्रिब्यून अखबार भी शुरू किया था और कई पुस्तकालय भी खोलें।, वह मदन मोहन मालवीय और सर सैय्यद अहमद खान की तरह देश के बड़े शिक्षा शास्त्री थे। 
 

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