सरकारी स्कूल प्राइवेट को पछाड़ रहे हैं: शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया

Edited By Riya bawa,Updated: 07 Nov, 2019 11:20 AM

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दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया...

नई दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूल लगातार प्राइवेट स्कूलों को पछाड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हालिया स्थिति यह है कि अभिभावक अपने बच्चों का सरकारी स्कूल में दाखिला देने के लिए रिश्वत देने का प्रयास करने लगे हैं। उपमुख्यमंत्री ने यह बातें शैक्षिक श्रेष्ठता पुरस्कार-2019 के समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कहीं। शिक्षा निदेशालय ने शैक्षिक उपलब्धियों के आधार पर स्कूलों व छात्रों को पुरस्कृत करने के लिए बुधवार को त्यागराज स्टेडियम में शैक्षिक श्रेष्ठता पुरस्कार समारोह का आयोजन किया। 

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इस दौरान उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि नीति आयोग की तरफ से हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट की केंद्र शासित प्रदेशों की श्रेणी में दिल्ली शिक्षा के क्षेत्र में पहले पायदान पर है। यह उन्हीं प्रयासों का परिणाम है जो 5 साल पहले हमने शुरू किए थे। उन्होंने कहा कि 5 साल पहले तक सीबीएसई परीक्षा में सरकारी स्कूलों के छात्रों का औसतन अधिकतम अंक 80 फीसद हुआ करते थे, लेकिन अब सरकारी स्कूलों के टॉपर्स 90 फीसद से अधिक अंक प्राप्त कर रहे हैं। 

इस वर्ष हमारे एक बच्चे ने सीबीएसई की बोर्ड परीक्षा में 96.2 फीसद अंक अर्जित किए हैं। जो संकेत है कि सरकारी स्कूल लगातार प्राइवेट स्कूलों को भी पछाड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों का मिशन निजी स्कूलों से अपनी तुलना करना नहीं है बल्कि अपने खुद की स्तर को ऊंचा उठाना है। वहीं सरकार का लक्ष्य निजी और सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 40 लाख बच्चों को बेहतर भविष्य देना है। इस दौरान उपमुख्यमंत्री ने दिल्ली की शिक्षा क्रांति में शिक्षकों व स्कूलों की भूमिका की सराहना की। 

सिसोदिया ने कहा कि सफल व्यक्ति बनने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी आने वाली पीढिय़ों के बारे में सोचें। उन्होंने कहा कि कुछ माह पहले 12वीं  क्लास की एक बच्ची ने मुझसे यह कहने का साहस किया कि उसके माता-पिता उसकी बोर्ड एग्जाम की फीस भरने में सक्षम नहीं है और इस बात से मेरे दिमाग में आया कि जब दिल्ली के सरकारी स्कूल अपने बच्चों को मुफ्त किताबें, मुफ्त यूनिफॉर्म दे सकते हैं तो वह अपने बच्चों की एग्जाम की फीस क्यों बच्चों से लेंगे? और अब दिल्ली सरकार के सभी स्कूलों में पढऩे वाले 3 लाख से अधिक बोर्ड के बच्चों की फीस सरकार देती है।यह सब उस छोटी बच्ची की बहादुरी के कारण हुआ।

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