क्या हकीकत सामने आ गई?

Edited By pooja,Updated: 04 Jun, 2018 09:54 AM

has the reality come out

दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया कि सालों से बोर्ड की परीक्षाएं दसवीं कक्षा के  विद्यार्थी नहीं दे रहे थे, ऐसे में जब बोर्ड की परीक्षा हुई तो नतीजे अच्छे नहीं आए।

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया कि सालों से बोर्ड की परीक्षाएं दसवीं कक्षा के  विद्यार्थी नहीं दे रहे थे, ऐसे में जब बोर्ड की परीक्षा हुई तो नतीजे अच्छे नहीं आए। लेकिन क्या, इस लाइन में यह बात नहीं छिपी है कि जब होम बोर्ड या स्कूल में परीक्षाएं होती रहीं तब तक तो परिणाम अच्छे आते रहे और जब बोर्ड हुआ तो हकीकत सामने आ गई। खराब परिणाम आने पर यह चर्चा आम है कि होम बोर्ड में परीक्षाओं के दौरान कहीं ना कहीं कॉपी जांचने की बात हो या फिर परीक्षा में सख्ती, कुछ ना कुछ ढील तो दी जाती रही होगी तभी तो जब बोर्ड की परीक्षा हुई  तो नतीजे होम बोर्ड जैसे नहीं आए।

ऐसी स्थिति में दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को और दुरुस्त करने की बड़ी दरकार समझ में आती है। इस बात को शिक्षा विभाग से लेकर स्कूल स्तर तक समझा जाना चाहिए। अगर होम बोर्ड के दौरान अच्छे परिणाम के चक्कर में स्कूल परीक्षा में कम सख्ती और कॉपी चेक करने के दौरान खुलकर नंबर देने का खेल कर रहे थे, तो उनको संभल जाना चाहिए। क्यों सालों से आदत खराब हो गई है जल्दी सुधार लाना जरूरी है।

प्रतिशत से नीचे गया ग्राफ, वर्ष 2015 से गड़बड़ाई स्थिति
दिल्ली क्षेत्र का 10वीं का परिणाम वर्ष 2011 से 99 प्रतिशत से ऊपर ही रहा। लेकिन, परिणामों में अचानक चार प्रतिशत की कमी आई और वर्ष 2015 में स्थिति बिगड़ गई। वर्ष 2016 मेें हालत और भी खराब हो गए और पास प्रतिशत नब्बे प्रतिशत से भी कम हो गया। वर्ष 2017 में स्थिति थोड़ी सुधरी, लेकिन इस साल तो हाल कुछ ऐसा हुआ कि सालों के रिकॉर्ड पर पानी फिर गया। पास प्रतिशत 80 के नीचे चला गया।
कुछ सरकारी स्कूलों का हाल तो बहुत बुरा है। शालीमार बाग स्थित सरकारी स्कूल में 138 विद्यार्थियों में से केवल 45 ही पास हुए। कादीपुर में एक सरकारी स्कूल का पास प्रतिशत पिछले साल 99.7 था, जो इस बार लगभग 53.12 प्रतिशत हो गया। जहांगीरपुरी के एक गल्र्स स्कूल की बात करें तो यहां पर बहुत बुरा हाल हुआ है। यहां पर पिछले साल पास प्रतिशत 88 था जो इस बार 29.9 पर पहुंच गया।
दिल्ली क्षेत्र का दसवीं परिणाम

वर्ष                      पास प्रतिशत
2011                            99.09
2012                           99.23
2013                           99.46
2014                           99.81
2015                           99.81
2016                           89.25
2017                           92.44
2018                           78.62

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