Edited By pooja,Updated: 29 May, 2018 10:39 AM
दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से सवाल किया कि राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी) में शामिल होने वाले ऐसे ²ष्टिबाधित उम्मीदवारों
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से सवाल किया कि राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी) में शामिल होने वाले ऐसे दृष्टिबाधित उम्मीदवारों को क्यों नहीं ब्रेल लिपि में प्रश्न पत्र उपलब्ध कराए जाते, जो किसी सहायक से मदद नहीं लेना चाहते।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने कहा कि दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के अलावा ऐसे कई उम्मीदवार भी हो सकते हैं जिन्हें सुनने या बोलने में कठिनाई हो सकती है। संभव है कि ऐसे लोगों के लिए सहायक बहुत मददगार नहीं हों। पीठ ने यूजीसी से सवाल किया , ‘‘ अगर कोई खुद ही जवाब लिखना चाहे ? अगर कोई उम्मीदवार दृष्टिबाधित और मूक या बधिर हो तो क्या होगा ? ऐसी स्थितियों में सहायक क्या करेंगे। ’’
पीठ ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 31 जुलाई को सूचीबद्ध किया। याचिकाकर्ता नितिन जैन ने जल्द सुनवाई का अनुरोध किया और और कहा कि एनईटी परीक्षा 8 जुलाई को होने वाली है। अदालत ने कहा कि वह इस साल कुछ भी करने की स्थिति में नहीं है और उसने जल्द सुनवाई के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।