IAS Success Story: दोस्तों के तानों ने छुड़वाई सरकारी नौकरी, IAS बन कर दिया करारा जवाब

Edited By Riya bawa,Updated: 16 Jan, 2020 10:18 AM

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आधुनिक युग में कामयाबी का कोई शॉर्टकट नहीं है, लेकिन कुछ बातों का ख्याल रखा जाए तो...

नई दिल्ली: आधुनिक युग में कामयाबी का कोई शॉर्टकट नहीं है, लेकिन कुछ बातों का ख्याल रखा जाए तो करियर को आसानी से ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। लेकिन कुछ ऐसे स्टूडेंट्स हैं जिन्होंने बेहद कम उम्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। आज हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलवाने जा रहे हैं, जिनके दोस्त और रिश्तेदार उनके लक्ष्य के बारे में सुनकर हंसते थे। उसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और परीक्षा पास कर कामयाबी हासिल की। आज की सक्सेस स्टोरी से मिलिए जिन्होनें 2014 में सिविल सेवा परीक्षा में 13वीं रैंक हासिल की। बात कर रहे है निशांत जैन की, जिसने हिन्दी माध्यम में पहला स्थान हासिल किया था।

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अंग्रेजी बनी सबसे बड़ी बाधा 
उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले निशांत जैन के सामने यूपीएससी के एग्जाम में अंग्रेजी सबसे बड़ी बाधा बन रही थी उनके मन में हमेशा यह बात चलती रहती थी कि अगर अंग्रेजी में पढ़ाई नहीं की तो कहीं फेल ना हो जाएं। उनका मानना था कि अंग्रेजी वालों को IAS एग्जाम में ज्यादा तवज्जो दी जाती है लेकिन निशांत का बचपन से ही IAS बनने का सपना था। वहीं रिश्तेदार और दोस्त कहते थे कि हिंदी में यह काम बहुत मुश्किल है। 

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बचपन से ही देखा IAS बनने का सपना
10 वीं कक्षा पास कर निशांत इस बात को लेकर परेशान थे कि वह अब क्या करें। घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी इसलिए 10वीं के बाद निशांत ने प्रूफ रीडर के रूप में पार्ट टाइम नौकरी भी शुरू कर दी। एक रुपये पर पेज के हिसाब से निशांत को मेहनताना मिलता था। पार्ट टाइम नौकरी के साथ निशांत ने 12वीं तक की पढ़ाई की। 

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डाक विभाग में क्लर्क के पद पर मिली नौकरी 
निशांत आगे की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी से करना चाहते थे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण यह सपना पूरा नहीं हो पाया। उनको मेरठ के कॉलेज में ही पढ़ाई करनी पड़ी। ग्रेजुएशन खत्म करते ही निशांत की डाक विभाग में क्लर्क के पद पर नौकरी लग गई।  इस नौकरी की वजह से उन्हें पढ़ाई का भी समय नहीं मिल पाता था, इसलिए निशांत ने सरकारी नौकरी छोड़ दी। 

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सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद निशांत ने मास्टर्स कंप्लीट किया और यूजीसी की परीक्षा में जेआरफ किया। इसके बाद यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी में जुट गए। पहली बार में निशांत प्री में असफल रहे, इसके बाद काफी निराश हो गए और संसद में अनुवादक की नौकरी शुरू कर दी  लेकिन कुछ समय बाद निशांत ने फिर हिम्मत जुटाई और दोबारा आईएएस की परीक्षा में बैठे। इस बार तैयारी अच्छी थी और निशांत ने प्री मेंस इंटरव्यू क्वालिफ़ाई कर लिया। 
  
 

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