साइंस से 12वीं करने के बाद इंजीनियरिंग के अलावा ये भी  है करियर विकल्प

Edited By bharti,Updated: 17 May, 2018 01:40 PM

in addition to engineering after 12th science this is also a career option

बोर्ड परीक्षाओं के परिणामों की घोषित होेने के बाद विद्यार्थियों की सबसे बड़ी परेशानी ये होती है कि एेसे कौन सी फील्ड का चुनाव....

नई दिल्ली : बोर्ड परीक्षाओं के परिणामों की घोषित होेने के बाद विद्यार्थियों की सबसे बड़ी परेशानी ये होती है कि एेसे कौन सी फील्ड का चुनाव करें जिसे चुनने के बाद उन्हें आसानी से अच्छी सैलरी वाली जॉब मिल जाए और जिन लोगों ने 12वीं साइंस स्ट्रीम से की हो वो सोचते है कि उनके पास डॉक्टर या इंजीनियर बनने के इलावा कोई और विकल्प नहीं है इसलिए कई बार ना चाहते हुए भी वह इन कोर्सेज का चुनाव कर लेते है, लेकिन एेसा नहीं है। साइंस में डॉक्टर और इंजीनियरिंग के इलावा कई सारे अॉप्शस मौजूद है। आइए जानते है सांइस स्ट्रीम के कुछ और करियर  ऑप्शंस के बारे में 

नैनो-टेक्नोलॉजी
ग्लोबल इनफॉर्मेशन इंक की रिसर्च के मुताबिक, 2018 तक नैनो टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के 3.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। नैस्कॉम के मुताबिक 2015 तक इसका कारोबार 180 अरब डॉलर से बढ़कर 890 अरब डॉलर हो जाएगा। ऐसे में इस फील्ड में 10 लाख प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी।12वीं के बाद नैनो टेक्नोलॉजी में बीएससी या बीटेक और उसके बाद इसी सब्जेक्ट में एमएससी या एमटेक करके इस क्षेत्र में शानदार करियर बनाया जा सकता है। 

स्पेस साइंस
इसके तहत कॉस्मोलॉजी, स्टेलर साइंस, प्लैनेटरी साइंस, एस्ट्रोनॉमी जैसे कई फील्ड्स हैं। इसमें तीन साल की बीएससी और चार साल के बीटेक से लेकर पीएचडी तक के कोर्सेज खास तौर पर इसरो और बेंगलुरु स्थित आइआइएससी में कराए जाते हैं।

एस्ट्रो-फिजिक्स
अगर आप सितारों और गैलेक्सी में दिलचस्पी रखते हैं तो 12वीं के बाद एस्ट्रो-फिजिक्स में रोमांचक करियर बना सकते हैं। इसके लिए आप चाहें तो पांच साल के रिसर्च ओरिएंटेड प्रोग्राम (एमएस इन फिजिकल साइंस) और चार या तीन साल के बैचलर्स प्रोग्राम (बीएससी इन फिजिक्स) में एडमिशन ले सकते हैं। एस्ट्रोफिजिक्स में डॉक्टरेट करने के बाद इसरो जैसे रिसर्च ऑर्गनाइजेशन में साइंटिस्ट बन सकते हैं।

एनवायर्नमेंटल साइंस
इस स्ट्रीम में पर्यावरण पर इंसानी गतिविधियों से होने वाले असर का अध्ययन किया जाता है। इसके तहत इकोलॉजी, डिजास्टर मैनेजमेंट,वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट, पॉल्यूशन कंट्रोल जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं। इन सभी सब्जेक्ट्स में एनजीओ और यूएनओ के प्रोजेक्ट्स बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं।ऐसे में जॉब की अच्छी संभावनाएं हैं।

वॉटर साइंस
यह जल की सतह से जुड़ा विज्ञान है। इसमें हाइड्रोमिटियोरोलॉजी, हाइड्रोजियोलॉजी, ड्रेनेज बेसिन मैनेजमेंट,वॉटर क्वॉलिटी मैनेजमेंट, हाइड्रोइंफॉर्मेटिक्स जैसे विषयों की पढ़ाई करनी होती है। हिमस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए इस फील्ड में रिसर्चर्स की डिमांड बढ़ रही है।

माइक्रो-बायोलॉजी
माइक्रो-बायोलॉजी की फील्ड में एंट्री के लिए बीएससी इन लाइफ साइंस या बीएससी इन माइक्रो-बायोलॉजी कोर्स कर सकते हैं। इसके बाद मास्टर डिग्री और पीएचडी का भी ऑप्‍शन है। इसके अलावा पैरामेडिकल, मरीन बायोलॉजी, बिहेवियरल साइंस, फिशरीज साइंस जैसे कई फील्ड्स हैं। 

डेयरी साइंस
डेयरी प्रोडक्शन के क्षेत्र में भारत अहम देश है। भारत डेयरी प्रोडक्शन में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। डेयरी टेक्नोलॉजी या डेयरी साइंस के तहत मिल्क प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, स्टोरेज और डिस्ट्रिब्यूशन की जानकारी दी जाती है। भारत में दूध की खपत को देखते हुए इस क्षेत्र में ट्रेंड प्रोफेशनल्स की डिमांड बढऩे लगी है। स्टूडेंट ऑल इंडिया बेसिस पर एंट्रेंस एग्जाम पास करने के बाद चार वर्षीय स्नातक डेयरी टेक्नोलॉजी के कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। कुछ डेयरी टेक्नोलॉजी में दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी ऑफर करते हैं। 

रोबोटिक साइंस
रोबोटिक साइंस का इस्तेमाल तकरीबन सभी क्षेत्रों में होने लगा है. जैसे- हार्ट सर्जरी, कार असेम्बलिंग, लैंडमाइंस।अगर आप इस फील्ड में आना चाहते हैं तो इस क्षेत्र से जुड़े कुछ स्पेशलाइजेशन कोर्स भी कर सकते हैं जैसे ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, एडवांस्ड रोबोटिक्स सिस्टम। कम्प्यूटर साइंस से स्नातक कर चुके स्टूडेंट्स इस कोर्स के लिए योग्य माने जाते हैं।

 

 

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