Edited By Sonia Goswami,Updated: 23 Nov, 2018 11:48 AM
प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं पद्म विभूषण डॉ रघुनाथ अनंत माशेलकर ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के 100वें दीक्षांत समारोह में गुरुवार को यहां छात्र-छात्राओं को सफलता के लिए पांच ‘गुरुमंत्र’ दिए।
वाराणसीः प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं पद्म विभूषण डॉ रघुनाथ अनंत माशेलकर ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के 100वें दीक्षांत समारोह में गुरुवार को यहां छात्र-छात्राओं को सफलता के लिए पांच ‘गुरुमंत्र’ दिए। समारोह के मुख्य अतिथि डॉ माशेलकर ने शिक्षा को भविष्य के समतुल्य बताते हुए कहा कि ‘‘मैं आप लोगों को पांच मंत्रों के बारे में बताऊंगा, जिन्होंने मेरे जीवन में मेरी मदद की है। मैं आशा करता हूँ कि माशेलकर मंत्र आपके लिए भी कारगर होंगे।’’
पहला, आकांक्षाएं आपकी संभावनाएं हैं। इसलिए, अपनी आकांक्षाओं को सदैव ऊंचा रखिए। अपनी निगाहें तारों पर टिकाए रखिए न कि नीचे की ओर अपने पैरों पर। दूसरा, धैर्य सदैव फलदायी होता है। यह हमेशा बहुत जल्द जबाव दे जाता है। विजेता कभी धैर्य नहीं खोते हैं और धैर्य खोने वाले कभी विजेता नहीं बन सकते हैं। इसलिए साथियो,‘फेल’ शब्द पर अलग नजरिए से देखिए। ‘फेल’ सीखने का पहला प्रयास है। जब तक आप अपनी गलतियों से सीखना जारी रखेंगे और उन्हें दोहराएंगे नहीं, अन्ततोगत्वा आप विजयी होंगे।
तीसरा, सदैव समाधान ढूंढने वाला बनिए, समस्या पैदा करने वाला नहीं। यदि आप रास्ता नहीं तलाश सकते हैं, तो एक नया रास्ता बनाइए। अवसर की प्रतीक्षा न करें। स्वयं अवसर पैदा करें। चौथा, कॉफी की तरह सफलता तुरंत नहीं मिल सकती है। कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। आप प्रतिभाशाली हो सकते हैं, लेकिन याद रखें कि जिस समय प्रतिभा काम नहीं करती है, कड़ी मेहनत उसे मात दे देती है। लेकिन, कड़ी मेहनत शान्तिपूर्वक करें। सफलता का डंका बजने दें। पांचवा, मानवीय सहनशक्ति की, मानवीय उपलब्धि की और मानवीय कल्पना की कोई सीमा नहीं है, सिवाय उस सीमा को छोड़कर जो आपने उपने ऊपर लगाकर रखी है। इसलिए असीम बनें।’’