Edited By pooja,Updated: 28 Nov, 2018 10:53 AM
जेएनयू में एक बार फिर प्रशासन और शिक्षक संघ आमने- सामने आ गए हैं। आलम यह है कि शिक्षक संघ एक तरफ प्रशासन पर मनमाने रवैये का आरोप लगा रहा है।
नई दिल्ली: जेएनयू में एक बार फिर प्रशासन और शिक्षक संघ आमने- सामने आ गए हैं। आलम यह है कि शिक्षक संघ एक तरफ प्रशासन पर मनमाने रवैये का आरोप लगा रहा है। वहीं, प्रशासन द्वारा शिक्षक संघ के भूख हड़ताल को निजी स्वार्थ से निहित माना जा रहा है। दरअसल, जेएनयू प्रशासन के मनाही के बाद भी शिक्षक संघ द्वारा प्रशासनिक ब्लॉक पर भूख हड़ताल की थी। इसके साथ ही शिक्षक संघ ने बुधवार को भूख हड़ताल खत्म करते हुए विवि. स्ट्राइक आह्वाहन किया है।
शिक्षक संघ के अध्यक्ष अतुल सूद ने बताया कि प्रशासन लगातार अपने मनमाने रवैये की वजह से विवि. के कल्चर को खराब करने की कोशिश कर रहा है। शिक्षक संघ और छात्र पिछले दो साल से प्रशासन के विरोध में खड़े है। वहीं दूसरी तरफ प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रैंग रही है। पिछले कई महीनें से प्रशासन द्वारा शिक्षकों को प्रोजेक्ट, सेमिनार, ट्रेवल फंड नहीं दिया गया है। जिससे शिक्षकों के अकादमिक कामकाज पर असर पड़ रहा है।
शिक्षक संघ की भूख हड़ताल को फेल बताते हुए रेजिस्ट्रार प्रो. प्रमोद कुमार का कहना है कि जेएनयू कुलपति छात्र और शिक्षकों की समस्या को सुनने के लिए हर महीनें बिना अनुमति के मिल सकते है। कई बार शिक्षक संघ के साथ बैठकर समस्याओं पर बात की और उन्हें समझाने की कोशिश की गई। लेकिन वो समझने को तैयार नहीं है, अगर उन्हें कोई परेशानी है, तो वो अपने दो प्रतिनिधि को भेजकर प्रशासनिक अधिकारी से मिल सकते हैं। लेकिन वो बात करना चाहते ही नहीं है, वो भूख हड़ताल पर बैठकर विवि. के कामकाज में बाधा डालने का काम कर रहे है। शिक्षक संघ द्वारा प्रशासनिक भवन के 100 मीटर के भीतर विरोध प्रदर्शन करके उच्च न्यायालय की फैसले की अवज्ञा की है। इसको देखते हुए जेएनयू प्रशासन द्वारा भूख हड़ताल पर बैठे शिक्षकों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। जेएनयू लगभग 600 संकाय सदस्यों में से 25 से भी कम संकाय सदस्यों ने जेएनयूटीए की भूख हड़ताल में भाग लिया। इसे साफ पता चलता है कि शिक्षक संघ के हड़ताल सिर्फ कुछ शिक्षकों के निजी स्वार्थ के लिए किया गया था।