मिशन एडमिशन : नामी स्कूलों में दाखिला करवाने की मची होड़

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jan, 2018 01:09 PM

mission admission  competition for admission in accredited schools

दिल्ली में नर्सरी एडमिशन का दौर शुरु हो चुका है और अब एडमिशन फार्म भरने में केवल...

नई दिल्ली : दिल्ली में नर्सरी एडमिशन का दौर शुरु हो चुका है और अब एडमिशन फार्म भरने में केवल 10 दिनों का ही समय बचा है और एेसे में अभिभावक पूरा जोर लगा रहे है कि उनके बच्चे का एडमिशन किसी नामी स्कूल में हो जाए तोकि सोसायटी में उनकी इज्जत बने रहे। रोहित के फ्रेंड्स ग्रुप में सभी के बच्चे डीपीएस में पढ़ते हैं, तो उसे भी अपने बेटे का दाखिला डीपीएस में ही कराना है, जिससे वह किसी से कम नहीं लगे। पड़ोस में रहने वाले शर्मा जी का बच्चा डीएवी में है, इसलिए सचिन की पत्नी ने रट यही लगाई हुई है कि कैसे भी हो, मगर हमारे बच्चे का एडमिशन आपको कराना डीएवी में ही है, वर्ना पड़ोस में क्या मुंह दिखाऊंगी। पत्नी की जिद से सचिन को पसीने आ रहे हैं। बड़े स्कूलों के प्रति अभिभावकों की ऐसी दीवानगी के चलते ही हर साल नर्सरी दाखिले के लिए मारामारी मचती है और खूब हंगामा होता है।

एेसे माहौल को देखते हुए ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल का कहना है कि अभिभावकों को स्कूल के नाम के बजाय उसकी पढ़ाई और माहौल को देखकर दाखिला कराना चाहिए। राजधानी में बहुत से ऐसे कम प्रसिद्ध स्कूल हैं, जिनकी पढ़ाई और अनुशासन किसी मायने में नामचीन स्कूलों से कम नहीं है। मगर बहुत से अभिभावकों के लिए बच्चे को बड़े स्कूल में पढ़ाना स्टेट्स सिंबल बनता जा रहा है, जो गलत है।   

राजधानी में है मान्यता प्राप्त 1695 स्कूल
राजधानी में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त 1695 स्कूल हैं,मगर इन सभी में दाखिले के लिए इतनी मारामारी नहीं मचती है, जितनी दिखाई देती है। असल मारामारी मचती है राजधानी के नामी मॉर्डन, एल्कान इंटरनेशनल, दिल्ली पब्लिक स्कूल, रेयान इंटनेशनल, जीडी गोयनका, डीएवी, वनस्थली, रामजस, सेंट थॉमस, सेंट जॉसफ, आदि जैसे लगभग 270 से 300 स्कूलों में। जिनमें दाखिले के लिए एक एक सीट पर दस दस या इससे भी ज्यादा आवेदन भरे जाते हैं और बड़ी संख्या में अभिभावकों को दाखिला नहीं होने पर मायूस होना पड़ता है।  जबकि बहुत से स्कूलों में नर्सरी की सीटें खाली तक रह जाती हैं, मगर बड़े नाम के पीछे भागने के चक्कर में बहुत से अभिभावक वहां आवेदन तक नहीं करते और अपने बच्चे के दाखिले का मौका तक गंवा देते हैं। इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि वह पहले घर से स्कूल की दूरी, स्कूल का माहौल और पढ़ाई देखें नाम बाद में।

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