Edited By Riya bawa,Updated: 09 Dec, 2019 04:22 PM
हर एक इंसान जिंदगी में मुश्किलों से जूझते हुए किसी न किसी दिन सफलता हासिल करता...
नई दिल्ली: हर एक इंसान जिंदगी में मुश्किलों से जूझते हुए किसी न किसी दिन सफलता हासिल करता है। एक ऐसी ही कहानी की बात करने जा रहे है जिसने कड़ी मेहनत के दम पर भारतीय नौसेना में पहली महिला पायलट बनकर बाकी महिलाओं के लिए मिसाल कायम की है। शुभांगी स्वरूप की कहानी मुश्किलों से जूझते नौजवानों के लिए एक प्रेरणा है।
पहली बार में हुआ सिलेक्शन
शुभांगी दो वर्ष पहले भारतीय नौसैनिक अकादमी से ग्रेजुएट हुई महिला अधिकारियों के पहले बैच का हिस्सा थीं। कन्नूर में पासिंग आउट परेड के बाद यह तय हो गया था कि शुभांगी नौसेना की पहली महिला पायलट होंगी और उन्हें हैदराबाद के निकट डिंडिगुल वायु सेना अकादमी में पायलट के प्रशिक्षण के लिए भेजा गया, जहां सेना, नौसेना और वायु सेना के पायलटों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
डीएवी स्कूल से पढ़ाई
शुभांगी ने वर्ष 2010 में डीएवी स्कूल से दसवीं की पढ़ाई की और विज्ञान विषय के साथ 12वीं करने के बाद इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। बीटैक करने के दौरान ही उन्होंने सशस्त्र सेना में जाने का मन बना लिया था और एमटैक में प्रवेश के बाद एसएसबी की परीक्षा पास करके वह अपने सपने को साकार करने के रास्ते पर आगे बढ़ गईं. उन्हें सब लेफ्टिनेंट के रूप में चुना गया और ट्रेनिंग के बाद पायलट के तौर पर उनका चयन हुआ।
बचपन में हेलीकॉप्टर को देख ली प्रेरणा
शिवांगी ने कहा कि बचपन में उनके घर के नजदीक एक हेलीकॉप्टर को उतरते हुए देखा और इसके बाद ठान लिया कि वह पायलट बनेंगी। शिवांगी ने कहा कि वह इस दिन का लंबे समय से इंतजार कर रहीं थी और अंतत यह दिन उनके जीवन में आ ही गया। इसे शानदार अनुभव बताते हुए शिवांगी ने कहा, अब मैं तीसरे चरण का प्रशिक्षण पूरा करने के लिए काम करूंगी।
राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक विजेता
तायक्वांडो में राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक विजेता और होनहार डाइवर शुभांगी ने हमेशा से रक्षा सेवाओं का हिस्सा बनने का ख्वाब देखा और नौसेना की पहली महिला पायलट बनने पर वह इसे एक रोमांचक अवसर के साथ ही एक बड़ी जिम्मेदारी भी मानती हैं। उन्हें उम्मीद है कि वह सब की उम्मीदों पर खरा उतरेंगी और कोशिश करेंगी कि देश की और भी बहुत सी लड़कियां उन्हें देखकर महिला पायलट के तौर पर नौसेना का हिस्सा बनने का प्रयास करें।