Edited By pooja,Updated: 03 Aug, 2018 03:07 PM
मेडिकल कॉलेजों में शिक्षण पदों के लिए चिकित्सक योग्य हैं या गैर चिकित्सक? इन दिनों मेडिकल कॉलेजों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। इस विवाद की शुरुआत गत
नई दिल्ली: मेडिकल कॉलेजों में शिक्षण पदों के लिए चिकित्सक योग्य हैं या गैर चिकित्सक? इन दिनों मेडिकल कॉलेजों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। इस विवाद की शुरुआत गत 5 जून को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद हो गई। जिसमें मेडिकल कॉलेजों में गैर चिकित्सकों की नियुक्ति को 15-25 प्रतिशत तक सीमित करने का प्रस्ताव लाया गया। इस विषय पर मशवरा देने के लिए बाकायदा एम्स के तीन प्रोफेसरों की एक उप समिति गठित की गई लेकिन उप समिति ने अभी तक अपनी राय एमसीआई को नहीं भेजी है। जानकारों के मुताबिक इससे विवाद को और भी हवा मिल रही है।
नेशनल एमएससी टीचर्स मेडिकल ऐसोसिएशन के अध्यक्ष श्रीधर राव के मुताबिक फिलहाल, दोनों पक्ष एमसीआई और उसके द्वारा घटित उप समिति और स्वास्थ्य मंत्रालय को अपना पक्ष रख रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) सहित अनेक डॉक्टरों के संघों ने एमसीआई के प्रस्ताव का समर्थन किया है। वही संगठनों के इस रुख से गैर-मेडिकल वर्ग के पेशेवर परेशान हैं। एक अनुमान के मुताबिक समूचे देश में पांच गैर-क्लीनिकल विषयों में करीब 13 प्रतिशत शिक्षक गैर-मेडिकल हैं। जिन्हें लगता है कि अगर स्वास्थ्य मंत्रालय ने एमसीआई के इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी तो गैर-मेडिकल शिक्षकों की नौकरी खतरे में आ सकती है। वहीं जो शिक्षक सालों और दशकों से सेवारत हैं, उन्हें निष्कासित किया जा सकता है या फिर अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।