Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 May, 2017 02:10 PM
प्रदेश सरकार बच्चों को गुणात्मक शिक्षा मुहैया करवाने को लेकर कितने भी दावे कर ले अगर जमीनी ...
मंडी : प्रदेश सरकार बच्चों को गुणात्मक शिक्षा मुहैया करवाने को लेकर कितने भी दावे कर ले अगर जमीनी हकीकत में देखा जाए तो स्कूलों में अगर शिक्षक ही नहीं होंगे तो फिर शिक्षा में गुणवत्ता की बात करना सरासर बेइमानी होगी। जिला के दुर्गम क्षेत्र में स्थित स्कूलों में शिक्षकों की कमी से होनहारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। जानकारी अनुसार शिक्षा खंड चच्योट-1 की राजकीय प्राथमिक पाठशाला थैंसर बिना शिक्षक के चल रही है। उक्त स्कूल में 40 छात्र व छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने आते हैं लेकिन शिक्षक न होने से क्षेत्र के होनहार मात्र मिड डे मील तक सीमित रह गए हैं। शिक्षा खंड चच्योट-1 की राजकीय प्राथमिक पाठशाला चित्तल बाखरी, सुराह, बाहबाईनाल, जुहीथाच, तांदी, सोबली, सुरागीधार, शावन व शिक्षा खंड चच्योट-2 की राजकीय प्राथमिक पाठशाला मुरहाला, सरयाच व दाड़ी जबकि शिक्षा खंड सराज-1 की राजकीय प्राथमिक पाठशाला लेह नकतेहड़ा, रहखोट, बगल्यारा, करसोटी, मठयाना, सिलह, पातन, नरैणधार, जुलांध, जथेलीगाढ़, हैलण, कुल्थानी, खबलैच, द्रुणू, चपलांदी, बनाली, सेरी-मानगढ़, बाहलीधार, रुछाड़, चैठीनाल, काकड़ाधार, डीडीधार, जुफरीगाढ़, कलैंजु, रुहमाणी, मारहुटी व डढ़ौण शामिल है।
सरकारी स्कूलों पर हैं निर्भर
उक्त दुर्गम स्कूलों में निजी स्कूल न होने से सभी बच्चे सरकारी स्कूलों में शिक्षा लेने को विवश हैं लेकिन शिक्षकों की कमी से होनहारों के भविष्य को लेकर अभिभावक ङ्क्षचतित है। आर्थिक रूप से संपन्न कुछ लोग तो अपने बच्चों को शहरों में स्थित निजी स्कूलों में जाकर शिक्षा मुहैया करवा लेते हैं।