मिला-जुला रहा 2018:  सभ्याचार, साहित्य और शिक्षा क्षेत्र में

Edited By pooja,Updated: 31 Dec, 2018 05:18 PM

together 2018 in the field of civilization literature and education

देश की राजधानी दिल्ली पंजाबियों का गढ़ मानी जाती है। पंजाबियो की संख्या ज्यादा होने के कारण दिल्ली में सभ्याचार, साहित्य और शिक्षा क्षेत्र में कई संस्थाएं दिल्ली में कार्यशील हैं।

नई दिल्ली (सुरिंदर सैनी): देश की राजधानी दिल्ली पंजाबियों का गढ़ मानी जाती है। पंजाबियो की संख्या ज्यादा होने के कारण दिल्ली में सभ्याचार, साहित्य और शिक्षा क्षेत्र में कई संस्थाएं दिल्ली में कार्यशील हैं। जो समय समय पर अपनी गति विधियों के साथ पंजाबी भाषा और सभ्याचार को बांधे रखती है। यह आमतौर पर देखा जाता है कि भाषा के साथ संबंध रखने वाली कई संस्थाएं बन तो जाती है लेकिन समय-समय पर फीकी पड़ जाती हैं और सिर्फ कागजों पर ही रह जाती हैं। आज आपको 2018 में कुछ संस्थाओं की गतिविधियों के बारे में बताने जा रहे हैं। 

 

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सबसे पहले बात करते हैं पद्म श्री बिक्रमजीत सिंह के संगठन विश्व पंजाबी संगठन की। इस संस्था को पंजाबी के सबसे अमीर संगठनों में से एक माना जाता है। इस संगठन की अधिकांश गतिविधियां पांच सितारा होटलों में की जाती हैं। इस संस्थान द्वारा दिल्ली के ली मेरिडियन होटल में पिछले साल लोहड़ी कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें दिल्ली की शाही हस्तियों को आमंत्रित किया गया था। इसी प्रकार वैसाखी कार्यक्रम को इस कमेटी द्वारा बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। इसके अलावा, समय-समय पर इस संस्था के राजनैतिक क्षेत्र में बड़ी-बड़ी हस्तियों का सम्मान करना भी 2018 में चर्चा का विषय रहा है। 


दिल्ली सरकार की पंजाबी अकादमी, जिसे पंजाबी के साहित्यिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक क्षेत्र का एक नेतृत्व करती है, लेकिन इस वर्ष, साहित्यिक और शैक्षिक क्षेत्रों को अधिकांश ध्यान ना देते हुए पंजाबियों की रूचि अकादमी सांस्कृतिक कार्यक्रमों तक ही सीमित रही।


हालांकि पंजाबी अकादमी ने दिल्ली के विभिन्न कॉलेजों के योग्य से पंजाबी साहित्य के लिए कई सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित  की। सांस्कृतिक स्तर पर दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए अकादमी ने कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में एक रंगीन कार्यक्रम का आयोजन किया। पश्चिम दिल्ली में साहित्यिक क्षेत्र में लगभग पांच दशकों से कार्यरत केंद्रीय पंजाबी साहित्य सम्मेलन दिल्ली के नवोदित लेखकों और कवियों को एक मंच प्रदान करने के लिए काम कर रहा है। 

दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रमुख डा. मंजीत सिंह के कमेटी के अंतगर्त पश्चिम दिल्ली में हर महीने इस प्रोग्राम का आयोजन  किया जाता है। इस वर्ष कई एनआरआई लेखकों के साथ इस संस्था ने साहित्य प्रेमियों जैसे राजिंदर सिंह जॉली को लोगों के साथ रू-ब-रू करवाया। दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र गुरप्रीत सिंह, लखबीर सिंह और गगन जैसे नए कवि जिन्होंने अभी शुरूआत की है, उन्हें भी एक रंगमंच प्रदान किया है। 


दिल्ली की पंजाबी अकादमी के बाद स.प्रीतम सिंह की स्थापित की गई पंजाबी साहित सभा का नाम आगे आता है। दिल्ली की पंजाबी जगत की सरगर्मियां के लिए हर वर्ष की तरह सभा निरंतर कार्यशील रही। दिल्ली के खूबसूरत इलाके में बनी पंजाबी साहित सभा में पूरा वर्ष पंजाबी साहित्य पर चर्चा रही। इस सभा की गतिविधि धूप की महफिल में हर वर्ष की तरह इस वर्ष  भी फरवरी में नए तथा पुराने लेखकों,कवियों तथा साहितकारों की महफिल लगी।

पंजाबी साहित सभा की तरह भाई वीर सिंह साहित्य सदन भी पंजाबी साहित्य प्रेमियों के लिए आपनी भूख मिटाने का केंद्र है। वहीं दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी दिल्ली में बेशक सिखों का नेतृत्व लेकिन एक राजनीतिक तथा धार्मिक संस्था होने के बावजूद दिल्ली में पंजाबी भाषा के साथ हो रहे भेदभाव के लिए कोई एजेंडा स्थापित नहीं कर सकी।  वहीं दिल्ली कमेटी की पंजाबी विकास कमेटी ने पंजाबी अध्यापकों के लिए इस वर्ष सेमीनार आदि का प्रबंध कर प्रशंसनीय काम किया है जिसका श्रेय डा.हरमीत सिंह को जाता है। 

उधर शिक्षा क्षेत्र में 2005 से निरंतर कार्यशील संस्था पंजाबी हैल्पलाईन ने इस वर्ष भी दिल्ली के पंजाबी अध्यापन क्षेत्र में पहिचान बनाई है। कुल मिलाकर बात की जाए तो वर्ष 2018 इन संस्थाओं के लिए अमिट छाप छोड़ कर गया है।

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