DONO INTERVIEW: ‘दोनों’ में चीज और मूल वही है लेकिन कहानी अलग ढंग से कही गई है और किरदार भी

Updated: 03 Oct, 2023 04:03 PM

dono team rajveer paloma and suraj badjatya interview

बॉलीवुड एक्टर सनी देओल ने ‘गदर 2’ के जरिए सिनेमाघरों में गदर मचा दिया। वहीं अब उनके छोटे बेटे राजवीर देओल की डेब्यू फिल्म ‘दोनों’ 5 अक्तूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस फिल्म का निर्देशन मशहूर निर्देशक सूरज बडज़ात्या...

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। बॉलीवुड एक्टर सनी देओल ने ‘गदर 2’ के जरिए सिनेमाघरों में गदर मचा दिया। वहीं अब उनके छोटे बेटे राजवीर देओल की डेब्यू फिल्म ‘दोनों’ 5 अक्तूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस फिल्म का निर्देशन मशहूर निर्देशक सूरज बडज़ात्या के बेटे अवनीश एस. बडज़ात्या ने किया है। फिल्म में राजवीर के साथ पूनम ढिल्लों की बेटी पलोमा ढिल्लों लीड रोल में नजर आ रही हैं, उनकी भी यह डेब्यू फिल्म है। फिल्म के बारे में सूरज बडज़ात्या, अवनीश एस. बडज़ात्या, राजवीर देओल और पलोमा नेे पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की।

राजवीर देओल

आपने कब सोचा कि आपको एक्टर बनना है?
मुझे बचपन से ही मालूम था कि एक्टर बनना है, लेकिन जब मैंने अपने पिता की फिल्म ‘बॉर्डर’ देखी, तो मैंने आर्मी ज्वाइन करने बारे सोचा। फिर जब मैं बास्केटबॉल खेलता था तो सोचता था कि बास्केटबॉल प्लेयर ही बनूं। इसके बाद जब वीडियो गेम्स खेलना शुरू किया तो इसी में कुछ करने का सोचा। इन सबके बावजूद एक्टर बनना हमेशा मेरे दिमाग में था। वहीं जब आपका पूरा परिवार ही इस लाइन में हो तो होश संभालते ही लगा कि यही रास्ता है। मैंने स्कूल में कई नाटक किए हैं और इसके बाद कई वर्कशॉप्स की हैं।
‘दोनों’ देखने के बाद आपके पापा सनी देओल का क्या कहना था?
सीधे तौर पर तो उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा, लेकिन मुझे अवनीश सर ने बताया कि फिल्म देखने के बाद वह काफी इमोशनल हो गए थे और उस समय उनका कहना था कि हां मेरा बेटा एक्टिंग कर सकता है।
 

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पलोमा ढिल्लों

अब फिल्मों का तरीका पहले से काफी बदल गया है। ऐसे में बतौर एक्टर आपकी मदर पूनम ढिल्लों ने आपको क्या सलाह दी?
मुझे लगता है कि अपने करियर में सभी की अपनी-अपनी जर्नी होती है और ये आपके अकेले का सफर होता है। मेरी मदर की भी अपनी जर्नी रही। मॉम मेरी बैस्ट फ्रैंड की तरह है। मेरा एक दिन भी ऐसा नहीं जाता जब मैं मॉम से बात न करूं। मेरा मानना है कि माता-पिता को लाइफ का सबसे ज्यादा अनुभव होता है, जो कहीं न कहीं आपके भी काम आता है। उन्होंने मुझे इंडस्ट्री के माहौल के बारे में बताया कि कैसे मैं अपने काम के जरिए अपने करियर को आगे ले जा सकती हूं। मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि मुझे गाइड करने के लिए घर में ऐसे लोग हैं, जो हमेशा मुझे सपोर्ट करते हैं। 

 
आपकी फैमिली ने जब फिल्म देखी तो उनका कैसा रिएक्शन था?
मेरे परिवार के लिए बहुत इमोशनल एक्सपीरियंस रहा। उन्होंने पहली बार मुझे स्क्रीन पर देखा तो मेरे लिए भी वह पल बहुत खास है और हमेशा रहेगा।  

डायरैक्टर अवनीश बडज़ात्या

आपने अपने पिता जी की फिल्में भी देखी हैं, तो इस फिल्म में उनसे क्या खास करने की कोशिश की है? और इसके लिए आप पर कितना प्रैशर था?
मैं प्रैशर तो नहीं कहूंगा लेकिन हां मेरे सीनियर्स ने जो इज्जत कमाई है, उसे बनाए रखना मेरी जिम्मेदारी है। मुझे याद है कि मेरे पिता जी ने एक सलाह दी थी कि डायरैक्टर को वह फिल्म बनानी चाहिए, जिसमें वह विश्वास कर सके। फिल्म का कैप्टन होने के नाते यही मेरी दिमाग में था कि कभी ऐसी फिल्म बनाने की कोशिश मत करो, जो खुद से हो न सके। उन्होंने यह भी कहा था कि तुम सूरज बडज़ात्या की फिल्म बनाने की कोशिश मत करना, क्योंकि वह केवल एक ही आदमी बना सकता है। तुम जिस तरह से दुनिया को देखते हो, उसी तरह की फिल्में बनाओ।


आप किस तरह  की फिल्मों से प्रभावित थे, जिन्हें देखकर आपको लगा था कि मैं ऐसी फिल्में बनाऊंगा?
मैं साफ तौर से तो कुछ कह नहीं सकता, क्योंकि हम कई जोनर्स की फिल्म देखते हैं और पसंद करते हैं। इसलिए नहीं कि हम उस तरह की फिल्में बना सकें, जैसे मेरी सबसे फेवरेट फिल्म ‘गॉड फादर’ है। यह फिल्म काफी अलग है लेकिन यह नहीं है कि उस फिल्म से मैंने कुछ सीखा नहीं है। इस फिल्म के डायरैक्टर ने कहानी को बहुत बढिय़ा ढंग से दर्शाया है। मेरी एक आदत है कि मैं जो भी फिल्म देखता हूं, उससे कुछ न कुछ सीख सकता हूं, क्योंकि जब आप इसी फील्ड से हो तो आपके लिए हर डायरैक्टर गुरु है। ऐसे में मैंने जो कुछ  सीखा है, वह सब कुछ ‘दोनों’ में लाने की कोशिश की है।

सूरज बडज़ात्या

‘दोनों’ आपके प्रोडक्शन से आ रही है। इसके बारे में आपका क्या कहना है?
मैं बस यह कहना चाहूंगा कि राजश्री के लिए ‘दोनों’ का एक अलग सुर है। मेरी फिल्में मैंने बनाई है और वह मेरी दुनिया है। वह दुनिया, जो मेरी आत्मा की आवाज है। मैं खुश हूं कि अविनाश जो डायरैक्ट कर रहे हैं, उसकी एक अपनी खासियत है। चीज वही है, मूल वही है और तत्व वही है लेकिन कहानी एक अलग ढंग से कही गई है और किरदार नए हैं। राजवीर और पलोमा के जो किरदार हैं, वो आज के हैं। जब-जब मैं स्क्रिप्ट सुनता हूं तो मुझे लगता है कि यह मेरी दुनिया से कितनी अलग है।

इस फिल्म में आप राजवीर और पलोमा की लव स्टोरी और उनकी कैमिस्ट्री के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
मेरा मानना है कि लव स्टोरी सिर्फ एक बॉय और गर्ल की होती है, क्योंकि उनके किरदार जैसे-जैसे बढ़ते हैं, वैसे-वैसे उनकी कैमिस्ट्री भी बनने लगती है। मेरे हिसाब से लव स्टोरीज फिल्मों के विषय का सबसे कठिन पक्ष है। राजवीर और पलोमा की कैमिस्ट्री में मुझे सबसे अच्छी चीज यह लगी कि लोग इनकी कहानी से जुड़ रहे हैं। फिल्म के टीजर और ट्रेलर को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। इन्होंने हर सीन पर बहुत मेहनत की है। 

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