Exclusive Interview: बेमिसाल शौर्य की गाथा है 'केसरी'

Edited By Chandan,Updated: 19 Mar, 2019 09:49 AM

exclusive interview with the starcast of film kesari

बैटल ऑफ सारागढ़ी यानि सारागढ़ी के युद्ध पर आधारित अक्षय कुमार की आने वाली फिल्म ‘केसरी’ इन दिनों जबर्दस्त सुर्खियों में है। यह एक ऐसी कहानी है, जिसे दुनिया के ऐतिहासिक पांच सबसे बड़े युद्ध की घटनाओं में दूसरा स्थान मिला है...

आज मेरी पगड़ी भी केसरी... जो बहेगा वो लहू भी केसरी और मेरा जवाब भी केसरी’।

नई दिल्ली। बैटल ऑफ सारागढ़ी यानि सारागढ़ी के युद्ध पर आधारित अक्षय कुमार की आने वाली फिल्म ‘केसरी’ इन दिनों जबर्दस्त सुर्खियों में है। यह एक ऐसी कहानी है, जिसे दुनिया के ऐतिहासिक पांच सबसे बड़े युद्ध की घटनाओं में दूसरा स्थान मिला है।

सारागढ़ी की लड़ाई 12 सितंबर, 1897 को ब्रिटिश भारतीय सेना के सिख रेजिमेंट और अफगानियों के बीच लड़ी गई थी जिसमें ब्रिटिश भारतीय सेना के 21 सिख जवानों ने 10 हजार अफगानी सैनिकों से लोहा लिया था। सारागढ़ी तत्कालीन उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत (अब पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में है) में एक छोटा सा गांव था।  21 मार्च को रिलीज हो रही इस फिल्म में अक्षय कुमार के अपोजिट परिणीति चोपड़ा हैं, जो अक्षय की पत्नी का रोल निभा रही हैं।

फिल्म में काफी एक्शन देखने को मिलेगा। फिल्म प्रमोशन के लिए दिल्ली पहुंचे अक्षय, परिणीति और डायरेक्टर अनुराग सिंह ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

हर युवा को जाननी चाहिए ये कहानी
अक्षय कहते हैं कि चूंकि यह हिम्मत की कहानी है और बहुत लोगों को इसके बारे मे नहीं पता। इसलिए इसे स्कूलों में भी पढ़ाई जानी चाहिए ताकि हमारे यूथ इसे जान सकें। वह कहते हैं कि अगर हम आज के यूथ को पूछे कि आपको फिल्म ‘300’ के बारे में पता है तो वो बोलेंगे हां... क्योंकि सभी ने हॉलीवुड फिल्म देखी है।

लेकिन अपनी कहानी के बारे में उन्हें पता नहीं है। उन्हें सारागढ़ी के बारे में पता नहीं है। मुझे लगता है कि उन्हें अपनी कहानी के बारे में पता होना चाहिए। वहां तो 300 थे यहां तो 21 ही थे, जो दस हजार लोगों से लड़े थे। दस हजार जब अफगानी लड़ाके आए थे तो उन्हें लगा था कि वे आधे घंटे में 21 सिखों को आराम से खत्म कर देंगे लेकिन उनका कैलकुलेशन गलत साबित हो गया था यह लड़ाई सुबह नौ बजे शुरू हुई थी, 12 सितबंर की तारीख थी। जिस युद्ध को उन्होंने आधे घंटे में खत्म होने का सोचा था, उसे खत्म होने में शाम के साढ़े छह बज गए थे।

हमसे ज्यादा मेहनत करते हैं लोग   
हम ऐसा कोई मेहनत वाला काम नहीं कर रहे, जिसमें बहुत महानता हो। मुझे शर्म आती है ये कहने में कि हम बहुत मेहनत करते हैं। दरअसल, हमारे पास एक लग्जरी वैनिटी वैन होती है, जिसमें हम आराम करते हैं। जब हमारा शॉट होता है तो हम जाते हैं और 10 मिनट में वो शॉट देकर हम वापस चले जाते हैं।

इसके लिए हमें इतना पैसा मिलता है कि सब भूल जाते हैं। वहीं इस देश में तमाम ऐसे लोग हैं जो दो वक्त की रोटी के लिए दिन-रात मेहनत करते है। मैं अपने आपको बहुत खुशकिस्मत मानता हूं कि मैं इस लाइन में आया और एक्टर बना और 135 फिल्में कर लीं।

PunjabKesariएक इमेज पर लटका रहना नहीं चाहता
देखिए, मैं एक ही तरह की इमेज नहीं रखना चाहता। शुरुआत में मैंने बहुत सी एक्शन फिल्में कीं और मेरी पहचान एक्शन हीरो की बन गई। तब सबको लगने लगा था कि मैं सिर्फ एक्शन फिल्में ही कर सकता हूं। मैंने उसी समय सोच लिया था कि अगर भगवान ने मुझे मौका दिया तो मैं अलग-अलग तरह के किरदार निभाऊंगा और कभी एक इमेज पर नहीं लटका रहूंगा।

केसरी का हिस्सा बनने पर गर्व: परिणीति चोपड़ा
जब करण जौहर ने मुझे इस फिल्म के लिए कॉल किया तो मैंने यह नहीं पूछा कि मुझे कितने सीन मिलेंगे। स्क्रीन पर सीमित समय मिलने के बावजूद भी मैंने यह फिल्म की क्योंकि मैं केसरी का हिस्सा बनाना चाहती थीं। आज से 50 साल बाद मैं गर्व से कह सकती हूं कि केसरी मेरी फिल्मोग्राफी का हिस्सा है।

अक्षय से बहुत कुछ सीखा
मैं एक बात कहना चाहूंगी जो मैंने अक्षय सर को अभी तक नहीं कही। केसरी के सेट पर मैं अक्षय सर से बहुत प्रभावित हुई। मैं सेट पर कैसे रहना चाहती हूं, कैसी एक्टर बनना चाहती हूं या मैं कैसे अपने करियर को देखती हूं। ये सबकुछ मैंने अक्षय सर से सीखा। मैं कोशिश करूंगी कि आगे चलकर मैं अपने फैंस को निराश न करूं और ऐसी ही अच्छी फिल्मों में काम करूं।

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हमारे इतिहास का गर्व करने वाला अध्याय: अनुराग सिंह
यह बहुत प्रेरणादायक कहानी है, ऐसी कम ही फिल्में देखने को मिलती हैं। मैं खुशकिस्मत हूं कि इस तरह का सब्जेक्ट मेरे पास खुद चलकर आया। जब इस प्रोजेक्ट की बात चली तो अक्षय सर और करण जौहर सर भी वहां मौजूद थे। अब आप ही सोचिए फिल्म बनाने के लिए इससे बेहतर कॉम्बिनेशन मुझे क्या मिलता।

केसरी में बढ़ी जिम्मेदारी 
जब हम हल्की-फुल्की हंसी मजाक वाली फिल्में बनाते हैं, तो उनका बनाने का तरीका अलग होता है। लेकिन, केसरी जैसी फिल्म बनाने में जिम्मेदारी थोड़ी बढ़ जाती है। क्योंकि इतिहास की वास्तविक घटना में आप अपनी मर्जी से कुछ नहीं जोड़ सकते। जो हुआ है वही दिखा सकते हो। आप सोच नहीं सकते मैं इस फिल्म को बनाकर कितना गर्व महसूस कर रहा हूं। मैंने बचपन में भी इस बैटल के बारे में सुना था। लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे इस पर फिल्म बनाने का मौका मिलेगा।

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