Updated: 15 Feb, 2024 01:39 PM
मुखुरी मेघालय का चार लोगों का बैंड है, जो खासी-जयंतिया समुदाय के गीतों, ध्वनियों और परंपराओं के बारे में है।
नई दिल्ली,टीम डिजिटल। मुखुरी मेघालय का चार लोगों का बैंड है, जो खासी-जयंतिया समुदाय के गीतों, ध्वनियों और परंपराओं के बारे में है। बैंड में ऐमेबल सुसंगी, जॉनी मेलबॉर्न सयिह, हमीह फावा और डेइमोनलंगकी एम खारबुकी शामिल हैं। ऐमेबल सुसंगी बैंड की प्रमुख गायिका हैं। ये बैंड ग्रामीण क्षेत्रों में पीढ़ियों से चले आ रहे लोक गीतों से तैयार की गई मूल रचनाएँ गाता है। जिसमें देशी पौधे, पहाड़ी परिदृश्य और स्वदेशी लोरी सहित अन्य सांस्कृतिक पहलू शामिल हैं। सिंगर ऐमेबल सुसंगी ने बैंड के बारे में की खास बातचीत।
मुखुरी के बारे में बात करते हुए ऐमेबल ने बताया कि मुखुरी मेघालय के अधिकांश रसोईघरों में पाए जाने वाले तीन पत्थरों वाले खाना पकाने वाले चूल्हे से है। मुखुरी स्थानीय रसोई में खाना पकाने के पारंपरिक तरीके को संदर्भित करता है जिसमें आग पर एक बर्तन को संतुलित करने के लिए समान ऊंचाई के तीन पत्थरों की आवश्यकता होती है। ऐसा माना जाता है कि खासी आदिवासी समुदाय में संगीत उस चूल्हे से शुरू होता है जहां तीन पत्थर रखे जाते हैं।
वहीं ऐमेबल ने अपने बैंड के बारे में कहा कि 2016 में मैंने इस बैंड की शुरुआत की। हमने इस बैंड का नाम मुखुरी रखने का निर्णय लिया। क्योंकि मुखुरी का मतलब मेघालय के अधिकांश रसोईघरों में पाए जाने वाले तीन पत्थरों वाले खाना पकाने वाले चूल्हे से है और हमें लगा कि ये नाम हमारे लिए सही है क्योंकि हम अपने रीति-रीवाज और संस्कृति के रिप्रजेंट कर रहे हैं।
वहीं वाद्य यन्त्रों की जानकारी देते हुए बताया कि हम सभी म्युजिक स्टुडेंट हैं। हमने इन वाद्य यन्त्रों को बजाना सीखा है और सभी फोक वाद्य यन्त्र हैं जो एक दूसरे से अलग हैं और एक दूसरे का संगीत में साथ देते हैं। हमारे बैंड में मंजीरा, चार-तार वाला वाद्ययंत्र डुइतारा, ताल वाद्ययंत्र काबोम और केसिंग शिनरंग शामिल हैं। जो हमारे गीतों को और भी मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
विलेज स्क्वायर के बारे में बताते हुए ऐमेबल कहती हैं कि ये एक ऐसा प्लेटफार्म हैं जिसने हमें अपनी कला के माध्यम से अपनी संस्कृति को सभी के सामने लाने का अवसर दिया है। हमारे जैसे संगीतकारों को जो मेघालय और अन्य राज्यों के ग्रामीँण क्षेत्रों से हैं उन्हें अपनी परफॉर्मेंस करने का मौका दिया है। विलेज स्क्वायर ने हमारी ग्रामीण संस्कृति, रिति रिवाजों, रहन-सहन और हमारे समुदाय का प्रसार करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।