शराबबंदी के दर्द से हंसते हंसते निकालेगी फिल्म ‘ड्राई-डे

Updated: 23 Dec, 2023 09:20 AM

the film  dry day  will laugh out the pain of prohibition

फिल्म को लेकर अभिनेता जितेंद्र कुमार, श्रिया पिलगांवकर, सौरभ शुक्ला और मधु भोजवानी ने पंजाब केसरी ग्रुप के साथ की खास बातचीत

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। शराब बंदी के गंभीर सामाजिक मुद्दे की कहानी पर आधारित फिल्म ‘ड्राई-डे’ 22 दिसंबर को ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म में जितेंद्र कुमार और श्रिया पिलगांवकर लीड रोल में नजर आएंगे। इनके साथ फिल्म में अनु कपूर भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। वहीं इस फिल्म का निर्देशन मशहूर एक्टर सौरभ शुक्ला ने किया है और इसी के चलते फिल्म की स्टारकास्ट जितेंद्र कुमार, श्रिया पिलगांवकर, फिल्म के डायरेक्टर सौरभ शुक्ला और प्रोड्यूसर मधु भोजवानी ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबानी/हिन्द समाचार से खास बातचीत की और फिल्म की दिलचस्प बातें साझा की हैं...

ज्ञान नहीं बांटेगी फिल्म ड्राई - डे, बस खुलकर हंसिए...सौरभ शुक्ला

Q. ड्राई-डे  का कांसेप्ट काफी नया है, आपने ओ.टी.टी. के लिए अपने इस कॉन्सेप्ट को क्यों चुना?
A -दरअसल ओ.टी.टी. ने अपना ट्रैंड बदल दिया है। इसलिए कमर्शियल फिल्म लेकर आ रहे हैं। इसमें ज्ञान बांटने जैसी कोई बात नहीं है। ये करो, ये न करो...ये अच्छा है, ये बुरा है, इस तरह का कुछ भी नहीं, फिल्म देखकर आप खुद तय करेंगे कि सही गलत क्या है। बाकी आप खूब हंसिए मजे लीजिए, यही इस फिल्म का थीम है।

Q. एक्टर्स को काफी कम्फर्ट देते थे आप, क्या माइंडसैट था आपका?
Q.
-मुझे लगता है कि मैं बहुत लक्की हूं क्योंकि मुझे बहुत सारी फिल्में ऐसी करने को मिली, जहां पर जब मैं सुबह उठता था, तो मुझे ऐसा लगता था कि मैं सुबह जल्दी सैट पर पहुंच जाऊं। वहीं मैं नाश्ता करूंगा और फिर तैयार होंगे। किसी से बात करूंगा और सीन करूंगा। इसलिए मैं चाहता था कि मैं भी अपनी फिल्मों में ऐसा ही माहौल बनाऊं और इसमें खासतौर पर मैंने यही करने की कोशिश की है। जो कोई भी हो, बेशक वह सुबह ही सैट पर क्यों न पहुंचा हो, खुश जरूर नजर आता था। यह फिल्म मथुरा में दिखाई गई है लेकिन इसकी शूटिंग भोपाल के पास डासिंगगढ़ में हुई है और फिल्म में भी इसका टच जरूर नजर आ रहा है, लेकिन हमने मथुरा नहीं बोला है, यह उसके आसपास की दुनिया है। ह्यूमर हमारी ङ्क्षजदगी का अटूट अंग है। वैसे भी कॉमेडी गहरे दर्द से निकालती है।

आसानी से पकड़ा मथुरा का लहजा, फिल्म में आया काम : जितेंद्र कुमार

Q. मथुरा का एक्सैंट कैसे पकड़ में आया?
A-हां, जब भी एक्सैंट और डायलॉग की बात आती है, तो थोड़ी मुश्किल तो होती ही है, लेकिन मैंने मथुरा के बोलचाल का लहजा कई बार सुना है। क्योंकि मैं अलवर से हूं तो मथुरा ज्यादा दूर नहीं है, तो वहां की बोली मैंने सुनी है, लेकिन उसे बोल पाना थोड़ा मुश्किल होता है। मैं पूछता कि सर इसमें कितना डायलॉग, कैसे बोलना है, वो कहते इतना ही बोलना है कि सीन देखने-सुनने में क्लियर हो जाए।

Q. क्रिएटिव लिबर्टी मिली?
A -मुझे ऐसा लगा था कि सर एक्टर भी हैं और डायरेक्टर भी, तो कहीं वो सीन को करके न दिखा दें, लेकिन ऐसा तो कभी भी नहीं हुआ और कई बार राइटर्स भी अपने डायलॉग्स को लेकर काफी सख्त होते हैं कि ऐसे ही बोलो, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ।  

Q. आपने सौरभ सर से क्या सीखा?
A-सौरभ सर सैट को अपना घर समझते हैं। हमें इनसे एक अलग ही एनर्जी मिलती है।  

Q. इंजीनियरिंग करते वक्त कैसे पता चला कि एक्टिंग की ओर जाना है?
A-स्कूल में रामलीला में मैंने कैकई का रोल प्ले किया। उस पर लोगों को हंसी आ रही थी और जब भी पूछा जाता था कि सबसे बैस्ट रोल किसका था, तो सब मेरा नाम लेते थे। मैंने भी एङ्क्षक्टग में जाने का मन बना लिया।

राइटर अच्छा एक्टर हो तो निखरता है काम - श्रिया पिलगांवकर

Q. फिल्म के जरिए आपने सौरभ सर से क्या कुछ सीखा? कैसे बने ड्राई-डे  का हिस्सा?
A-यह कहानी कई सालों से सौरभ सर के पास है और हम बहुत किस्मत वाले हैं कि इसमें हमारा चुनाव हुआ है। मुझे लगता है जब हमारा डायरेक्टर भी एक अच्छा एक्टर हो तो फिल्म की कहानी के प्रति अप्रोच अलग हो जाती है। सौरभ सर एक बहुत ही शानदार डायरैक्टर हैं जो एक्टर्स पर पूरा भरोसा करते हैं।

Q. आपको जितेंद्र की कौन सी चीज सबसे ज्यादा अच्छी लगी और कौन सी बुरी?
A-सबसे अच्छी बात तो यही है कि यह अपने काम में बहुत अच्छा है।  यह बहुत शानदार एक्टर हैं और जब आप अच्छे एक्टर के साथ काम करते हैं तो आपका काम निखर के आता है।  

छह साल पहले सोची थी फिल्म ड्राई-डे की कहानी - मधु भोजवानी

Q. इस तरह के टॉपिक को चुनने के पीछे कोई खास कारण?
A-इसको चुनने के पीछे भी सौरभ ही हैं। कौन है जो सौरभ से प्यार नहीं करता। सौरभ मेरे पुराने दोस्त भी हैं। हमने छह साल पहले इस फिल्म की कहानी सोची थी कि इस स्टोरी पर काम करना है। सौरभ की खास बात यह भी है कि जितने अच्छे वो एक्टर हैं उससे भी अच्छे वो नरेटर हैं। और यह तो कहानी लिखी भी इन्होंने खुद ही है।

Q. आप हमेशा कहते हैं कि आपके एक्टर्स आपकी फैमिली बन जाते हैं तो इनके बारे में क्या कहना है आपका ?
A-इस फिल्म को बनाते वक्त ऐसा ही लगा रहा था कि हम अपने यारों दोस्तों के बीच ही हैं और कुछ काम हो रहा है। आपको देखकर ऐसा लगेगा मानो कि सब मज़े कर रहे हैं।

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