ह्यूमर के साथ सामाजिक मुद्दे पर खास संदेश देगी ये फिल्म : किरण राव

Updated: 15 Feb, 2024 12:46 PM

this film will give a special message on social issues with humor kiran rao

ग्रामीण क्षेत्र की कहानी है, इसलिए कास्टिंग भी वैसी ही की

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। आमिर खान प्रोडक्शन्स के बैनर तले बनी 'लापता लेडीज' रिलीज से पहले ही खूब तारीफें बटोर रही है। इस फिल्म का डायरैक्शन आमिर की एक्स वाइफ और अपनी अलग और खास कहानियों के लिए जानी जाने वाली किरण राव ने किया है। कहानी बिप्लब गोस्वामी की अवॉर्ड विनिंग कहानी पर आधारित है। 'लापता लेडीज' की कहानी दो दुल्हनों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो गलती से ट्रेन में बदल जाती हैं। इस फिल्म में नितांशी गोयल, प्रतिभा रांटा, स्पर्श श्रीवास्तव, छाया कदम और रवि किशन जैसे कलाकार नजर आने वाले हैं। यह फिल्म 1 मार्च, 2024 को सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए तैयार है। लोग इस खास फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। किरण राव ने पंजाब केसरी/ 
नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश:

 

Q. फिल्म में काफी अलग कैरेक्टर कास्टिंग है तो आपको अपने एक्टर्स में क्या चाहिए था?
हमारी फिल्म की कहानी ग्रामीण क्षेत्र की कहानी है तो हमें कास्टिंग भी उसी के हिसाब से करना थी कि 20 साल पहले जो ग्रामीण क्षेत्र की लड़की है, वो वैसी ही दिखनी चाहिए। जिसमें थोड़ी मासूमियत, थोड़ा सादापन हो। फिल्म में जो एक्टर हैं, उनके चेहरे से ही उनका किरदार समझ आए मुझे ऐसा कुछ चाहिए था। अगर इन किरदारों के लिए हम कोई स्टार्स लेते तो शायद हम आपको सप्रराइज न कर पाते। जब हमने कास्टिंग की तो हमारे पास कई प्रतिभावान युवा आए और साथ ही हमें भाषा को लेकर भी जो हिंदी, भोजपुरी को अच्छे से बोल पाएं, ऐसे एक्टर्स की कास्टिंग करनी थी। हमारे पास अलग-अलग जगह से लोग ऑडिशन के लिए आए। साथ ही हमें नए चेहरे भी चाहिए थे तो इसलिए हमने अपनी कास्टिंग इतनी अलग की है।

 

Q. क्या आपने अपने एक्टर्स को कोई खास मूवी या प्रोजैक्ट देखने के लिए बोला था कि आपको इस तरह से करना है?
मैंने ऐसा कुछ खास तो नहीं बोला लेकिन हमने सबने मिलकर रिहर्सल बहुत की हैं। हमने वर्कशॉप किए, रेलवे के ​डिब्बे सैट कर उनमें प्रैक्टिस की और अलग-अलग ग्रुप बनाकर स्टेशन पर, घर, पुलिस स्टेशन इन सारी जगहों पर रिहर्सल की। रवि जी ने नए कलाकारों को लीड भी किया। हफ्तों तक हमने ऐसे ही काम किया क्योंकि कॉमेडी में आपको अपनी पिच का बेहद ध्यान रखना पड़ता है। हमें ह्यूमर के साथ कहानी को वास्तविक भी दिखाना था और ये मेरी खुशकिस्मती है कि मुझे बहुत अच्छे एक्टर्स ही मिले। सभी के साथ काम करने में मुझे बहुत मजा आया।

 

Q. इस फिल्म में मंजूमाई को एक मजबूत और सशक्त महिला के रूप में दिखाया है। वह आपने कैसे सोचा कि यह भी होना चाहिए? 
मंजूमाई का जो किरदार है, वो ऑरिजनल कहानी में था ही नहीं। मंजूमाई का किरदार ऐसा किरदार है, जो कहीं न कहीं मैंने प्लांट किया है। मैंने सोचा कि जो ऑरिजनल कहानी में फूल है, वह बहुत अच्छे कपल के साथ रहती है, जिसका इतना असर नहीं पड़ता इसलिए मेरा विचार था कि मंजूमाई जैसा किरदार इस कहानी में ज्यादा प्रभाव डालेगा और एक महिला जो मजबूत और सशक्त भी है।

 

Q. आप क्या चाहती हैं कि लोग इस फिल्म से क्या सीख लें?
मैं चाहती हूं कि अगर संभव हो तो हर किसी को अपने लिए, अपने परिवार और समाज के लिए भी थोड़ा समय निकालना चाहिए क्योंकि हम अपने जीवन में बहुत व्यस्त हो गए हैं और खुद के लिए ही समय नहीं निकालते हैं। खासकर मैं महिलाओं को कहना चाहूंगी जो अपने बारे में कम सोचती हैं। वह अपने आप को थोड़ा और ज्यादा समय, थोड़ा ज्यादा प्यार, केयर दें। हो सके तो खुद से सवाल करें कि आपको किस चीज की जरूरत है। मैं चाहूंगी कि सभी उन्हें सुनें, समझें, जगह दें, हर चीज को लेकर मौका भी दें। मैं बस यही चाहती हूं कि लोग इस फिल्म से यही सीख लें।

 

Q. किरण, आपको किस तरह का सिनेमा देखना पसंद है?
मुझे कॉमेडी और रोमांस वाली फिल्मों से बहुत प्यार है। मैं कॉमेडी और रोमांस वाली फिल्में देखना बहुत पसंद करती हूं। हिंसा या एक्शन वाली फिल्में ज्यादा पसंद नहीं हैं। मुझे अलग-अलग जोनर की फिल्में पसंद हैं। साइंस-फिक्शन फिल्में देखना भी मैं काफी पसंद करती हूं। इसके अलावा बहुत ज्यादा सस्पैंस वाली और बच्चों से जुड़ी कोई भी अलग परिस्थितियों वाली फिल्में मैं नहीं देख पाती हूं। बच्चों के साथ अपराध वाली फिल्में मुझे डरा देती हैं।

 

Q. आप निर्देशक के रूप में कहानी और उसके सामाजिक मुद्दों को दिखाने के बीच संतुलन किस तरह बनाती हैं?
यह बहुत अच्छी कहानी है लेकिन एक मुद्दे पर आधारित और वास्तविक थी और मैं इस बात को लेकर बहुत क्लीयर थी कि मुझे इस कहानी को थोड़ा ह्यूमर और कॉमेडी के साथ पेश करना था। मेरा मानना है कि हम कॉमेडी के जरिए बड़े से बड़े मुद्दे को आसानी से लोगों को समझा सकते हैं। हम इस फिल्म में जो मुद्दा दिखा रहे हैं, वो सबको पता है क्योंकि इससे पहले भी ऐसे विषय पर फिल्में आ चुकी हैं लेकिन हमने इसको बहुत हल्के-फुल्के अंदाज में दिखाया है। इस तरह से भी लोग कुछ समझ सकते हैं बिना कोई प्रैशर लेकर। साथ ही अगर आप सिर्फ मनोरजंन के लिए देखना चाहें तो भी आपको फिल्म पसंद आएगी।

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