Edited By ,Updated: 24 Jan, 2015 02:48 AM
बी.पी.एल. राशन कार्ड काटने के विरोध में पिछले कई दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हरदीप के समर्थन में आज कई गांवों के ग्रामीण धरनास्थल पर पहुंचे।
सिरसा (ब्यूरो): बी.पी.एल. राशन कार्ड काटने के विरोध में पिछले कई दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हरदीप के समर्थन में आज कई गांवों के ग्रामीण धरनास्थल पर पहुंचे। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री का पुतला फूंककर अपना रोष जताया। मालूम हो कि जिले भर में बी.पी.एल. परिवारों के बी.पी.एल. राशन कार्ड काटने, मनरेगा व प्रियदर्शिनी योजना के तहत पक्के मकान बनाने के लिए पात्र परिवारों को राशि न मिलने के खिलाफ पिछले कई दिनों से हरदीप भूख हड़ताल पर बैठा है। बीते दिनों हालत बिगडऩे पर हरदीप को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां से छुट्टी मिलने के बाद उसने उपायुक्त कार्यालय में फिर से भूख हड़ताल शुरू कर दी।
इस मौके पर हरदीप ने कहा कि जिला में सैंकड़ों की संख्या में ऐसे बी.पी.एल. परिवार हैं, जिनके बी.पी.एल. राशन कार्ड काट दिए गए हैं, जिस कारण उनके परिवार को भरपेट खाना भी नहीं मिल पा रहा है और उनके भूखे मरने की नौबत आ गई है। उन्होंने बताया कि कई को सरकार द्वारा पक्के मकान बनाने की योजना के तहत राशि भी समय पर नहीं दी गई और जो राशि दी गई वह भी बेहद कम थी, जिस कारण पात्र परिवारों को न केवल मिट्टी के गारे से घर बनाना पड़ा बल्कि छतें भी आर.सी.सी. की जगह आर.बी. की बनानी पड़ी। हरदीप सिंह ने बताया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी उनका आंदोलन जारी रहेगा।
प्रदर्शन कर रहे हरदीप, काला सिंह, बलविंद्र सिंह, दारा सिंह, महमा सिंह, देवेंद्र सिंह, जसवीर कौर, कर्मजीत कौर आदि ने बताया कि वे बी.पी.एल. परिवार से संबंधित हैं और पूर्व में उनका बी.पी.एल. राशन कार्ड भी बना हुआ था, जिस कारण सरकारी अनाज मिलता था और वे भरपेट भोजन कर पाते थे। उन्होंने बताया कि कुछ समय पूर्व ही प्रशासन द्वारा करवाए गए सर्वे के बाद उनके पीले राशन कार्ड काट दिए गए, जिस कारण अब उन्हें सरकारी अनाज नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा कि पात्र परिवारों के काटे गए पीले राशन कार्ड बनवाने तथा मकान अनुदान योजना के तहत पूरी राशि दिलाने की मांग के लिए गत 8 दिनों से हरदीप भूख हड़ताल पर बैठा है लेकिन उसके बावजूद किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने उसकी सुध नहीं ली। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही मांगें नहीं मानी गई तो सैंकड़ों ग्रामीण भी भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे।