सावधान! 1000 क्विंटल सड़ा गेहूं मिल चुका है हैफेड पशुचारे में

Edited By ,Updated: 01 Feb, 2015 12:29 AM

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हैफेड कैटल फीड अपने आप में बेहतर गुणवत्ता के साथ-साथ भरोसेमंद खरीद केंद्र की पहचान रखता है। विभाग के लम्बे-चौड़े दावों पर आंख मूंदकर......

रोहतक (मैनपाल मुद्गिल): हैफेड कैटल फीड अपने आप में बेहतर गुणवत्ता के साथ-साथ भरोसेमंद खरीद केंद्र की पहचान रखता है। विभाग के लम्बे-चौड़े दावों पर आंख मूंदकर भरोसा कर पशुपालक हैफेड से अपने पशुओं के लिए फीड खरीदते भी हैं मगर हैफेड का हो पशुचारा-दूध घी हो घना सारा- की टैगलाइन पर भरोसा करना आपको भारी पड़ सकता है क्योंकि चंद अधिकारियों ने यहां कारनामा ही ऐसा कर दिखाया है। पशुपालक सावधान हो जाएं क्योंकि हैफेड के दावों और हकीकत में जमीन आसमान का अंतर है।

इसका पशुचारा आपके पशुओं की सेहत बनाने की बजाय उनकी मौत तक का कारण भी साबित हो सकता है। बेहतर क्वालिटी के वायदे के विपरीत हैफेड में पशुचारे की गुणवत्ता फिलहाल सवालों के घेरे में खड़ी नजर आ रही है क्योंकि पशुचारे में करीब 1000 क्विंटल ऐसी सड़ी गेहूं का मिश्रण किया जा चुका है जिसको गुणवत्ता अधिकारी तक यह कहते हुए नकार चुके हैं कि यह गेहूं पशुओं के खिलाने लायक है ही नहीं। मामले में किसी बड़े षड्यंत्र की बू आसानी से महसूस की जा रही है।

हैफेड में जो दिख रहा है वह हकीकत से है कोसों दूर
हैफेड की कैटल फीड खरीदने वाले सावधान! जो दिख रहा है, वही सच नहीं है। हैफेड के कई अधिकारियों की लापरवाही, उसके बाद उस पर लीपापोती करने की वजह से हैफेड की साख धूमिल हो रही है। यह हम नहीं हाल ही में रोहतक हैफेड में पलवल हैफेड से सड़े हुए गेहूं के आए 7 ट्रक साफ-साफ कह रहे हैं। इस सड़े हुए गेहूं पर पडऩे वाली पहली नजर ही इनकी गुणवत्ता की हकीकत बयां करती है। आधिकारिक रिपोर्ट में भी साफ है कि गेहूं पशुओं के खाने लायक नहीं है।

बता दें कि गुणवत्ता अधिकारी के ऑब्जैक्शन के बावजूद जी.एम. के आदेश पर गेहूं रोहतक हैफेड में क्यों मंगवाया गया, इसका संतोषजनक जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं है। सूत्रों का कहना है कि सड़े गेहूं में से करीबन 1000 टन पशुचारे में मिलाया भी जा चुका है। हालांकि, अधिकारी दावा करते हैं कि गेहूं को साफ करके मिलाया गया है जबकि हकीकत तो यह है कि सड़ा हुआ यह गेहूं इस लायक बचा ही नहीं कि इसको सफाई करके मिलाया जा सके। ऐसे में साफ है कि अधिकारियों की मिलीभगत, पशुओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है।

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