Edited By Tanuja,Updated: 09 Feb, 2022 02:15 PM
ऑस्ट्रेलिया और लिथुआनिया के विदेश मंत्री बुधवार को रणनीतिक चुनौतियों पर सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए, जिसमें खासतौर पर चीन के दबाव से ...
कैनबरा: ऑस्ट्रेलिया और लिथुआनिया के विदेश मंत्री बुधवार को रणनीतिक चुनौतियों पर सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए, जिसमें खासतौर पर चीन के दबाव से निपटना शामिल है। लिथुआनिया के विदेश मंत्री गेब्रियेलियस लैंड्सबर्गिस और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष मारिस पायने ने बुधवार को यहां संसद भवन में मुलाकात की। बीजिंग के साथ बिगड़ते रिश्तों के बीच कोयला, शराब, गोमांस, क्रेफिश और जौ के व्यापार पर चीन के औपचारिक व अनौपचारिक प्रतिबंधों से ऑस्ट्रेलियाई निर्यातकों को अरबों डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा है।
वहीं, बाल्टिक क्षेत्र में स्थित लगभग 28 लाख आबादी वाला देश लिथुआनिया बीते दिनों उस समय चीन के निशाने पर आ गया, जब उसने राजनियक परंपरा को तोड़ते हुए यह घोषणा की कि राजधानी विलनियस में मौजूद ताइवान के कार्यालय पर ‘चीनी ताइपे' की जगह ‘ताइवान' नाम लिखा जाएगा। कई देश चीन की नाराजगी से बचने के लिए ताइवान की जगह ‘चीनी ताइपे' नाम का इस्तेमाल करते हैं। लैंड्सबर्गिस ने कहा, ‘काफी समय से ऑस्ट्रेलिया उन प्रमुख देशों में शुमार रहा है, जहां चीन अर्थव्यवस्था और व्यापार को एक राजनीतिक उपकरण, या यह भी कह सकते हैं कि एक राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।' उन्होंने कहा, ‘अब लिथुआनिया इस खास क्लब में शामिल हो गया है... लेकिन यह निश्चित रूप से स्पष्ट है कि हम आखिरी देश नहीं हैं।'
पायने ने कहा कि वह लैंड्सबर्गिस के इस विचार से सहमत हैं कि समान विचारधारा वाले देशों को एक साझे दृष्टिकोण के साथ अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था, मुक्त और खुला व्यापार, पारदर्शिता, सुरक्षा व स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में साथ मिलकर काम करना चाहिए। पायने ने कहा, ‘ऐसे कई सहयोगी हैं, जिनके साथ विदेश मंत्री (लैंड्सबर्गिस) और मैं इन मुद्दों पर मिलकर काम करते हैं। मुझे लगता है कि इसके जरिये हम दबाव और निरंकुशता पर हमारी अस्वीकृति के बारे में सबसे स्पष्ट संदेश भेज रहे हैं।'