बचपन के सपने को इस उम्र में किया पूरा, पांच दशक के राजनीतिक अनुभव के बाद बाइडन बने सबसे बुजुर्ग राष्

Edited By vasudha,Updated: 21 Jan, 2021 10:26 AM

biden journey to become the oldest president

जनता के नेता, सुधारक और दूसरों का दर्द समझने वाले व्यक्ति के रूप में प्रसिद्ध जो बाइडन किसी जमाने में देश के सबसे युवा सीनेटरों में से एक थे और आज अपने लंबे अनुभव के साथ अमेरिकी इतिहास के सबसे बुजुर्ग राष्ट्रपति बनने तक का उनका सफर बेहद दिलचस्प रहा...

इंटरनेशनल डेस्क:  जनता के नेता, सुधारक और दूसरों का दर्द समझने वाले व्यक्ति के रूप में प्रसिद्ध जो बाइडन किसी जमाने में देश के सबसे युवा सीनेटरों में से एक थे और आज अपने लंबे अनुभव के साथ अमेरिकी इतिहास के सबसे बुजुर्ग राष्ट्रपति बनने तक का उनका सफर बेहद दिलचस्प रहा है। उनके पास लगभग पांच दशक का राजनीतिक अनुभव है।छह बार सीनेटर रहे डेमोक्रेटिक नेता बाइडन ने 78 वर्ष की उम्र में राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप को परास्त कर दिया। इससे पहले वह 1988 और 2008 में राष्ट्रपति पद की दौड़ में दो बार असफल भी रह चुके हैं।

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बचपन से ही राष्ट्रपति बनना चाहते थे बाइडन
डेलावेयर से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ नेता बाइडन का बचपन से ही राष्ट्रपति बनने का सपना था, लेकिन तीसरे प्रयास में उनका सपना तब पूरा होता दिखा जब उन्होंने पिछले साल 29 फरवरी को साउथ कैरोलाइना से डेमोक्रेटिक पार्टी के प्राइमरी में जीत दर्ज कर कई दिग्गजों को पीछे छोड़ दिया और अमेरिका के राजनीतिक इतिहास में उनकी सबसे नाटकीय वापसी हुई। वाशिंगटन में पांच दशक गुजार चुके बाइडन व्हाइट हाउस में दो बार पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के अधीन उपराष्ट्रपति रह चुके हैं। उन्होंने इस बार खुद को अमेरिका की जनता के सामने ट्रंप के विकल्प के रूप में मजबूती से रखा।

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 भारत-अमेरिका संबंधों में बाइडन की मुख्य भूमिका
तीन दशक से अधिक समय तक डेलावेयर से सीनेटर रहने और फिर ओबामा के तहत आठ साल तक उपराष्ट्रपति रहने के दौरान बाइडन का भारत-अमेरिका संबंधों का मजबूत पैरोकार रहने का ट्रैक रिकॉर्ड है। बाइडन ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि भारत और अमेरिका स्वाभाविक साझेदार हैं। रिपब्लिकन प्रशासन के दौरान भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार पारित कराने और द्विपक्षीय कारोबार में 500 अरब डॉलर का लक्ष्य तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने से लेकर बाइडन के हमेशा भारतीय नेतृत्व के साथ मजबूत संबंध रहे हैं।  बाइडन ने अपने प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर कम से कम 20 भारतीय-अमेरिकियों को नामित किया है जिनमें से 13 महिलाएं हैं। यह अपने आप में एक ऐसे छोटे जातीय समूह के लिए एक नया रिकॉर्ड है जिसकी आबादी कुल आबादी का महज एक प्रतिशत है। इन लोगों में से 17 शक्तिशाली व्हाइट हाउस परिसर का हिस्सा होंगे।

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 बाइडन ने कानून की डिग्री की प्राप्त 
सन 1942 में पेनसिल्वेनिया में कैथोलिक परिवार में जन्मे जो रॉबिनेट बाइडन जूनियर ने यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर में पढ़ाई की और फिर 1968 में सिरकॉस यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री प्राप्त की। उनके पिता भट्टी की सफाई करने तथा पुरानी कारें बेचने का काम करते थे। बाइडन पहली बार 1972 में निर्वाचित हुए और डेलावेयर राज्य से छह बार सीनेटर रहे। वह पहली बार 29 साल की उम्र में निर्वाचित होकर अमेरिकी सीनेट के लिए चुने जाने वाले सबसे युवा प्रतिनिधियों में से एक थे। बाइडन ने 1988 और 2008 में भी अपनी पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए दावेदारी की थी, लेकिन असफल रहे थे। स्पष्ट वक्ता के रूप में जाने जाने वाले बाइडन 1972 की कार दुर्घटना सहित अपने परिवार के साथ हुईं दुखद घटनाओं के बारे में खुलकर बात करते हैं। कार दुर्घटना में उनकी पहली पत्नी नीलिया और उनकी 13 महीने की बेटी नाओमी की मौत हो गई थी तथा उनके बेटे ब्यू और हंटर गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

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