क्या वैक्सीन लगवा चुके लोग अब भी फैला सकते हैं संक्रमण ? इस सवाल का जवाब यहां

Edited By vasudha,Updated: 30 May, 2021 02:46 PM

can people who have been vaccinated still spread the infection

अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र ने 13 मई 2021 को मास्क पहनने के बारे में अपने दिशा निर्देशों में बदलाव किया था तो कई अमेरिकी थोड़े भ्रम की स्थिति में थे। अब पूरी तरह से टीका लगवा चुका कोई भी व्यक्ति, किसी स्थान के भीतर या बाहर, बड़े या...

नेशनल डेस्क:  अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र ने 13 मई 2021 को मास्क पहनने के बारे में अपने दिशा निर्देशों में बदलाव किया था तो कई अमेरिकी थोड़े भ्रम की स्थिति में थे। अब पूरी तरह से टीका लगवा चुका कोई भी व्यक्ति, किसी स्थान के भीतर या बाहर, बड़े या छोटे कार्यक्रमों में बिना मास्क पहनने या सामाजिक दूरी का पालन किए बिना भाग ले सकता है। राष्ट्रपति जो बाइडन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार एंथनी फाउची ने कहा कि नए दिशा निर्देश ‘‘विज्ञान के विकास पर आधारित हैं'' और अमेरिका की तकरीबन दो तिहाई आबादी के लिए ‘‘एक प्रोत्साहन के तौर पर काम करते हैं'' जिन्हें अभी तक टीका नहीं लगा है।

 

पहले से ही बीमार लोगों को नहीं लगा टीका
पहले से ही बीमार चल रहे कुछ लोगों को टीका नहीं लगाया जा सकता। कैंसर या अन्य बीमारियों के कारण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग टीका लगाने से भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो सकते हैं। 12 से 15 साल की आयु के बच्चे 10 मई 2021 से फाइजर-बायोटेक का टीका लगवा सकते हैं। साथ ही अमेरिका में 12 साल से कम की आयु के करीब पांच करोड़ बच्चों के लिए अभी तक कोविड-19 रोधी किसी भी टीके को स्वीकृति नहीं मिली है। पाबंदियां हटने और लोगों के मास्क हटाने से कुछ लोग चिंतित हैं कि क्या आप टीका लगवा चुके किसी व्यक्ति से कोविड-19 के संपर्क में आ सकते हैं? टीका लगवाने से जरूरी नहीं कि हर बार संक्रमण से रक्षा हो। शोधकर्ताओं ने कोविड-19 रोधी सुरक्षित टीके बनाने की उम्मीद जताई जिससे टीका लगवा चुके कम से कम आधे लोगों को कोविड-19 नहीं हो।


उम्मीद से भी बेहतर साबित हुए टीके
 अच्छी बात यह है कि टीके उम्मीद से भी बेहतर साबित हुए हैं। उदाहरण के लिए इजराइल के 16 साल और उससे अधिक आयु के 65 लाख निवासियों को लगाया फाइजर-बायोटेक एमआरएनए कोविड-19 रोधी टीका 95.3 प्रतिशत प्रभावी पाया गया। टीका निर्माता अकसर उम्मीद कररते हैं कि बीमारी से बचाने के अलावा उनके टीके ‘‘रोगाणुरहित प्रतिरक्षा'' हासिल करेंगे। रोगाणुरहित प्रतिरक्षा का मतलब है कि टीका लगवा चुका व्यक्ति कभी विषाणु के संपर्क में नहीं आएगा या न ही इसका आगे प्रसार करेगा। 

 

टीका लगवा चुके व्यक्ति सं नहीं फलता संक्रमण
उदाहरण के लिए पोलियो की दवा पोलियो विषाणु को मनुष्य के शरीर में बढ़ने से पूरी तरह नहीं रोकती लेकिन यह इस बीमारी की रोकथाम में अत्यधिक प्रभावी है क्योंकि इससे ऐसे एंटीबॉडी बनते हैं जो विषाणु को मस्तिष्क तथा मेरुदण्ड को संक्रमित करने से रोकते हैं। वैज्ञानिक रोग प्रतिरोधक क्षमता के स्थाइत्व का भी आकलन कर रहे हैं जो कोविड-19 रोधी टीकों से मिल रही हैं और शरीर में कहां पर ये असर कर रही हैं? क्या टीका लगवा चुका कोई व्यक्ति कोरोना वायरस फैला सकता है? प्रतिरक्षा विज्ञानियों को उम्मीद है कि संक्रामक रोग के खिलाफ रक्षा करने वाले टीके विषाणु को फैलाने की दर भी कम करेंगे। लेकिन यह पता लगाना निश्चित तौर पर मुश्किल है कि क्या टीका लगवा चुका व्यक्ति इस विषाणु को नहीं फैला रहा है। 


कोविड-19 एक खास चुनौती पेश करता है 
कोविड-19 एक खास चुनौती पेश करता है क्योंकि बिना लक्षण वाले मरीज भी बीमारी फैला सकते हैं और संपर्क में आए लोगों का उचित तरीके से पता न लगाने और जांच न होने का मतलब है कि बिना लक्षण वाले मरीजों की पहचान करना मुश्किल है। कुछ वैज्ञानिकों का अनुमान है कि कोविड-19 के बिना लक्षण वाले मरीजों की संख्या संक्रमण के पुष्ट मामलों के मुकाबले तीन से 20 गुना अधिक हो सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि बिना लक्षण वाले या हल्के लक्षण वाले मरीज कुल संक्रमण के 86 फीसदी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। हालांकि अन्य अध्ययनों में इस आकलन के विरोधाभासी तथ्य पेश किए गए हैं। 


टीका लगाने के बाद बीमारी के लक्षण होते हैं हल्के 
एक अध्ययन में सीडीसी ने अमेरिका के आठ स्थानों पर तीन महीने में साप्ताहिक आधार पर स्वयंसेवी, स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों और अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले अन्य कर्मियों की कोविड-19 के लिए जांच की। शोधकर्ताओं ने पाया कि दोनों टीके लगवा चुके कर्मियों के उन लोगों के मुकाबले कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने की संभावना 25 गुना कम थी जिन्होंने टीके नहीं लगवाए। इस तरह के शोध के नतीजे बताते हैं कि टीका लगवा चुके लोग संक्रमण की चपेट में आने से सुरक्षित होते है और उनके वायरस को फैलाने की संभावना भी कम होती है। एक बात हम यकीन के साथ जानते हैं कि अगर टीका लगवाने के बाद भी व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित हो जाता है तो उसमें बीमारी के लक्षण हल्के होंगे। अध्ययनों में पाया गया कि टीके की पहली खुराक लेने के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए लोगों में बिना टीका लगवाए संक्रमित पाए मरीजों की तुलना में शरीर में विषाणु का स्तर कम पाया गया।

 

 एंटीबॉडी पैदा करता है टीका
 एक अध्ययन में पाया गया कि मॉडर्ना का एमआरएनए कोविड-19 रोधी टीका मुंह तथा नाक के द्रव्य में कोरोना वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडी पैदा कर सकता है। ये एंटीबॉडी विषाणु को शरीर में घुसने से रोक देंगे। इसका मतलब होगा कि टीका लगवा चुका व्यक्ति श्वास लेने के समय गिरने वाली बूंदों से वायरस नहीं फैलाएगा। ये सबूत उम्मीद तो जगाते हैं लेकिन और अध्ययनों के बिना वैज्ञानिक यह पता नहीं लगा सकते कि कोविड-19 रोधी टीके असल में बीमारी को हर तरीके से फैलने से रोकते हैं। टीके संक्रमण की श्रृंखला तोड़कर किसी भी संक्रामक रोग को फैलने से कम करने में मदद करते हैं। टीके अकेले किसी भी बीमारी के उन्मूलन में लंबा वक्त ले सकते हैं। यहां तक कि करीब-करीब खत्म हो चुकी बीमारियां जैसे कि चेचक, खसरा और काली खांसी कमजोर होती रोग प्रतिरोधक क्षमता और टीकों की घटती दर के कारण फिर से हो सकती हैं। 

 

गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ते टीका लगाने वाले लोग
हाल ही में प्रसिद्ध बेसबॉल टीम न्यूयॉर्क यांकीज में टीका लगवा चुके सदस्यों के बीच संक्रमण फैलना यह दिखाता है कि टीका लगवा चुके लोग अब भी संक्रमित हो सकते हैं और साथ ही वे अपने संपर्क में आए लोगों के बीच कोरोना वायरस फैला सकते हैं। सीडीसी के मास्क हटाने से संबंधित दिशा निर्देशों का मतलब टीका लगवा चुके लोगों को आश्वस्त करने का है कि वे गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ेगे।,


 

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