अनुच्छेद 370 हटाने पर चीन की चिंता अनुचित, LAC पर कोई प्रभाव नहीं : भारतीय राजदूत

Edited By vasudha,Updated: 28 Aug, 2019 04:41 PM

china concern over the removal of article 370 is unfair

चीन में भारत के राजदूत ने कहा कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने पर चीन की चिंता अनुचित है और इसका वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कोई असर नहीं पड़ेगा...

इंटरनेशनल डेस्क: चीन में भारत के राजदूत ने कहा कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने पर चीन की चिंता अनुचित है और इसका वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भारत सरकार द्वारा गत पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री ने भारत के इस रुख को दोहराया कि संविधान संशोधन पूरी तरह से आंतरिक मामला है और यह पूरी तरह भारत का विशेषाधिकार है। 

 

राजदूत ने कहा कि भारत कोई अतिरिक्त क्षेत्रीय दावा नहीं कर रहा है और इसलिए ‘‘इस संबंध में चीन की चिंताएं अनुचित हैं। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने तथा राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों ‘जम्मू कश्मीर और लद्दाख' में बांटने के भारत के फैसले के बाद चीन ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए दो अलग-अलग बयान जारी किए थे। चीन के विदेश मंत्रालय ने अपने पहले बयान में लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने पर आपत्ति व्यक्त की थी और क्षेत्र पर अपना दावा किया था। वहीं, जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाए जाने पर इसने कहा था कि चीन कश्मीर में वर्तमान स्थिति को लेकर काफी चिंतित है और संबंधित पक्षों को संयम बरतना चाहिए तथा बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए। 

 

मिस्री ने कहा कि जहां तक भारत-चीन सीमा का सवाल है तो दोनों पक्ष 2005 में राजनीतिक मानकों और निर्देशक सिद्धांतों के आधार पर मुद्दे के एक उचित, तार्किक और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर सहमत हुए थे।उन्होंने कहा कि सीमा मुद्दे पर भारत का रुख हाल में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी बीजिंग यात्रा के दौरान व्यक्त कर दिया था। भारत और चीन 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर मतभेदों के समाधान के लिए अब तक 21 दौर की बात कर चुके हैं। मिस्री ने हाल में फ्रांस में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्पष्ट किए गए इस रुख को भी रेखांकित किया कि ‘‘भारत और पाकिस्तान के बीच मुद्दे पूरी तरह द्विपक्षीय हैं, न कि अंतरराष्ट्रीय प्रकृति के।

 

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के करीबी सहयोगी चीन के आग्रह पर ही सुरक्षा परिषद में जम्मू कश्मीर मुद्दे पर बंद कमरे में चर्चा हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच इस साल के अंत में होने वाले दूसरे शिखर सम्मेलन के बारे में मिस्री ने कहा कि इस तरह की पहली बैठक पिछले साल वुहान में हुई थी जिसमें दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय, अंतरराष्ट्रीय और द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की थी और उस बैठक का प्रारूप इस बैठक के लिए सहायक बना। मिस्री ने 5जी प्रौद्योगिकी से संबंधित एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत सरकार ने अब तक इस पर कोई फैसला नहीं किया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कोई भी फैसला भारत के राष्ट्रीय हित के आधार पर लिया जाएगा, न कि किसी बाहरी दबाव में।
 

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