भारत और अमरीका में हुए समझौते पर चीन की नजर ,पर्रिकर से करेगा सवाल

Edited By ,Updated: 15 Apr, 2016 12:22 PM

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चीन ने दक्षिण चीन सागर में अमरीका और फिलीपीन की संयुक्त गश्तों का ‘कड़ा विरोध’ जताते हुए कहा कि यह ‘हानिकारक’ कदम क्षेत्रीय विरोधों को भड़काएगा...

बीजिंग : चीन ने दक्षिण चीन सागर में अमरीका और फिलीपीन की संयुक्त गश्तों का ‘कड़ा विरोध’ जताते हुए कहा कि यह ‘हानिकारक’ कदम क्षेत्रीय विरोधों को भड़काएगा और इस विवादित क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता को नुकसान पहुंचाएगा । चीनी विदेश मंत्रालय ने पेंटागन के उस बयान पर अपना रूख स्पष्ट किया है, जिसके तहत कहा गया था कि दक्षिण चीन सागर में अमरीका-फिलीपीन की संयुक्त गश्तें ‘नियमित’ रूप से होंगी । मंत्रालय ने कहा कि चीन ‘‘किसी भी देश द्वारा किसी भी रूप में चीन की संप्रभुता एवं सुरक्षा का उल्लंघन किए जाने के खिलाफ कड़ा विरोध’’ जताता है ।

विदेश मंत्रालय ने सरकारी अखबार ‘चाइना डेली’ को बताया, ‘‘सैन्य आदान-प्रदान के तहत किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए । यहां यह बताने की जरूरत नहीं है कि चीन की संप्रभुता और सुरक्षा से छेड़छाड़ करने के लिए कुछ देशों को सहयोग देने से क्षेत्रीय विरोध भड़कते हैं आेर इससे क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को नुकसान पहुंचता है ।’’ चीनी रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘दक्षिण चीन सागर में अमरीका और फिलीपीन के बीच संयुक्त गश्तों से क्षेत्र का सैन्यीकरण हुआ है । यह क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए नुकसानदायक है।’’ मंत्रालय का यह बयान अमरीका की आेर से कल यह कहे जाने के बाद आया है कि उसने फिलीपीन के साथ दक्षिण चीन सागर में संयुक्त गश्त शुरू किया है और 275 सैनिक तथा पांच हमलावर विमान अस्थाई तौर पर फिलीपीन में मौजूद रहेंगे ।  

अमरीका के रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने कल मनीला में इस बात की पुष्टि की कि अमरीका और फिलीपीन ने पहले भी इस तरह के गश्त आयोजित किए हैं ।  बयान में कहा गया, ‘‘चीनी सेना स्थिति पर करीब से निगाह रखेगी और चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता एवं समुद्री हितों की दृढ़ता के साथ रक्षा करेगी ।’’ मंत्रालय ने कहा कि अमरीका और फिलीपीन सैन्य गठबंधन को मजबूत कर रहे हैं, अग्रिम मोर्चे पर सैन्य तैनाती बढ़ा रहे हैं और विशिष्ट लक्ष्यों को लेकर संयुक्त सैन्य अभ्यास करना शीत युद्ध वाली मानसिकता को दर्शाता है तथा यह दक्षिण चीन सागर की शांति एवं स्थिरता के खिलाफ है । मंत्रालय ने कहा, ‘‘हम संबंधित पक्षों से अपील करते हैं कि वे दक्षिण चीन सागर में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के क्षेत्रीय देशों के प्रयासों का सम्मान करें ।’’

मंत्रालय के अधिकारियों ने अखबार को बताया कि बीजिंग इस क्रम में होने वाले बदलावों पर नजर रखेगा । उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर में सामान्य स्थिरता को ‘‘चीन और संबंधित देशों के संयुक्त प्रयासों के जरिए’’ बनाए रखा गया है । अमरीका और फिलीपीन के संयुक्त गश्त की खबर देते हुए ग्लोबल टाइम्स ने कहा, ‘‘अमरीका भारत और फिलीपीन को छोटे नाटो के रूप में शामिल करने की दिशा में बढ़ रहा है ।’’ दक्षिण चीन सागर पर हाइनान के विशेषज्ञ लिउ फेंग ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि अमरीका द्वारा दक्षिण चीन सागर में उठाए गए कदमों से प्रदर्शित होता है कि वह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपनी छोटी-नाटो संरचना में भारत और फिलीपीन को शामिल करना चाहता है । लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावों को लेकर उसके और फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान के बीच विवाद रहा है ।

फिलीपीन इस विवाद को ‘यूएन कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ सीज’ यूएनसीएलआेएस) में लेकर गया था । न्यायाधिकरण की कार्यवाही का चीन ने बहिष्कार किया था । पीएलए नेवल मिलिट्री स्टडीज रिसर्च इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ शोधकर्ता झांग जुन्शी ने कहा कि अमरीका संयुक्त गश्तों के जरिए दक्षिण चीन सागर में शांति को नुकसान पहुंचाएगा । अमरीकी रक्षा मंत्री की तीन दिवसीय भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हुए मिलिटरी लॉजिस्टिक सप्लाई अग्रीमेंट पर भी चीन की नजर बनी हुई है ।

चीन इस समझौते को अमरीका की उस रणनीति का हिस्सा मान रहा है जिसमें यूएस साउथ चाइना सी मामले में चीन विरोधी ताकतों को एकजुट कर रहा है । चीन ने संकेत दिया कि वह भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की चीन यात्रा के दौरान इस मुद्दे को उठाएगा । कार्टर की भारत यात्रा के दौरान भारत और अमरीका ने सैन्य साजो सामान आपूर्ति से जुड़ा समझौता करने का फैसला किया ताकि एक दूसरे के अड्डों तक पहुंच प्राप्त की जा सके ।  

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