G7 देशों ने यूक्रेन-चीन व जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों पर आम सहमति बनाने का किया प्रयास

Edited By Tanuja,Updated: 21 May, 2023 12:43 PM

g7  outreach  an effort to build consensus on global issues

G7 देशों के नेता इसके प्रभाव का विस्तार करने और तथाकथित ‘ग्लोबल साउथ' की मांगों को शामिल करने के प्रयास के तहत जापान में अपने शिखर...

हिरोशिमा:  G7 देशों के नेता इसके प्रभाव का विस्तार करने और तथाकथित ‘ग्लोबल साउथ' की मांगों को शामिल करने के प्रयास के तहत जापान में अपने शिखर सम्मेलन के दौरान अन्य देशों के अपने समकक्षों के साथ बैठकें कर रहे हैं। दक्षिण अमेरिका से दक्षिण एशिया, यूक्रेन से लेकर दक्षिण प्रशांत तक, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, इंडोनेशिया और भारत जैसी बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के अलावा कोमोरोस और कुक आइलैंड्स जैसे छोटे देश के नेता भी आए हुए हैं।

 

जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा कि सम्मेलन एक और उद्देश्य एशिया, अफ्रीका और लातिन अमेरिका में ‘ग्लोबल साउथ' के विकासशील देशों के महत्व को रेखांकित करना है। उल्लेखनीय है कि ‘ग्लोबल साउथ' में एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के देश आते हैं। ग्लोबल साउथ के देशों को नव औद्योगीकृत या औद्योगीकरण की प्रक्रिया में शामिल देशों के रूप में वर्णित किया जाता है तथा उनमें से ज्यादातार देश उपनिवेश रह चुके हैं। जी-7 के नेताओं ने शनिवार को जारी एक संयुक्त बयान में महामारी और यूक्रेन में युद्ध के दौरान अत्यधिक बढ़ चुके कर्ज से निपटने में देशों की मदद करने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

 

उन्होंने विकासशील देशों में रेलवे, स्वच्छ ऊर्जा और दूरसंचार जैसे बुनियादी ढांचे के विकास के लिए परियोजनाओं के लिए 600 अरब डॉलर तक के वित्तपोषण के अपने उद्देश्य को भी दोहराया। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पश्चिम अफ्रीका में एक रेलवे परियोजना की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘हम अभी महज शुरुआत कर रहे हैं। बुनियादी ढांचे के विकास में अंतराल को दूर करने के लिए हमें एक साथ बहुत कुछ करना है।'' उन्होंने यह भी कहा कि खाद्य सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार करना होगा।

 

बाइडेन ने कहा, ‘‘हमें प्रतिबद्धता दिखानी होगी कि लोकतंत्र यह कर सकता है। हम इसे पूरा करेंगे।'' यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि इस प्रयास से निवेश की राशि ‘‘अरबों से खरबों'' तक बढ़ सकती है। आलोचक जी-7 पर उन देशों का ‘‘कुलीन क्लब'' होने का आरोप लगाते हैं जिनकी वैश्विक नेताओं के रूप में प्रासंगिकता दांव पर है। भारत और ब्राजील, जापान और अन्य देशों के नेताओं को शामिल करके यूक्रेन में युद्ध, चीन की बढ़ती मुखरता, ऋण और विकास के मुद्दों तथा जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी आम सहमति को बढ़ाना है। 

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