दुनिया का सबसे अमीर आदमी पैसे से परेशान, लोगों से पूछ रहा ये सवाल

Edited By Tanuja,Updated: 22 Sep, 2018 05:15 PM

jeff bezos big problem what to do with all his money

दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और अमेजॉन के संस्थापक जेफ बेजोस  को अब समझ नहीं आ रहा कि वो आखिर इतने पैसों का करें तो क्या करें? वो अपनी इस परेशानी को कई बार सार्वजनिक भी कर चुके हैं और ट्विटर के जरिए लोगों से उनकी राय भी मांग चुके हैं कि...

वॉशिंगटनः दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और अमेजॉन के संस्थापक जेफ बेजोस  को अब समझ नहीं आ रहा कि वो आखिर इतने पैसों का करें तो क्या करें? वो अपनी इस परेशानी को कई बार सार्वजनिक भी कर चुके हैं और ट्विटर के जरिए लोगों से उनकी राय भी मांग चुके हैं कि आखिर उन्हें इतने पैसों का क्या करना चाहिए? फोर्ब्स पत्रिका के मुताबिक, जेफ बेजोस की कुल संपत्ति लगभग 162 अरब डॉलर है। उनकी रोजाना की कमाई लगभग 430 करोड़ रुपए है। पिछले सप्ताह ही जेफ बेजोस और उनकी पत्नी मेकेंजी ने पैसे दान करने की शुरुआती योजना का ऐलान किया है। 
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न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा है कि वो बेघरों और स्कूल से पहले की शिक्षा में सुधार के लिए एक नया फाउंडेशन बेजॉस डे वन फंड बनाएंगे और उसके जरिए 2 बिलियन डॉलर यानी 142 अरब रुपए का दान करेंगे। हालांकि उनकी कुल संपत्ति का यह एक छोटा सा हिस्सा है, लेकिन आने वाले दिनों में इस फाउंडेशन के जरिए वो बहुत कुछ करेंगे। अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि जेफ बेजोफ अपनी इस अथाह संपत्ति को कैसे और कहां खर्च करें? इसके अलावा एक और बड़ा सवाल है कि आखिर उनके पास इतनी संपत्ति क्यों है? 
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 महत्वपूर्ण सवाल ये है कि इस अकूत संपत्ति के लिहाज से उनकी क्या जिम्मेदारियां हैं और वह इन पैसों का क्या करेंगे? क्या हमारा इन सबसे कोई लेनादेना है? तो इसका सीधा सा जवाब है कि हां, हमारा इससे लेनादेना है। रिपोर्ट कहती है कि बेजोफ के पास यह अथाह संपत्ति सिर्फ उनकी प्रतिभा का नतीजा नहीं है। इसके पीछे वैश्विक अर्थव्यवस्था को आकार देने वाली कई बड़ी ताकतों का भी हाथ है। इनमें से एक है डिजिटल प्रौद्योगिकी का असमान प्रभाव, जिसने लागत कम कर दी और लोगों को बेहतरीन सुविधाएं प्रदान की, लेकिन ऐसा सिर्फ उन्हीं के साथ हुआ जिनका प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ कुछ सुपरस्टार कंपनियों और उनके सबसे बड़े शेयरधारकों तक ही सीमित रह गया। 
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इसके अलावा इस अथाह संपत्ति के जमा होने के पीछे श्रम और आर्थिक नीति का भी असर है, जिसे बरकरार रखने में अमरीका असफल रहा और जिसने तकनीक आधारित उद्योग से पैदा होनेवाली संपत्ति की समस्या को बढ़ावा दिया। अमेजॉन का कहना है कि उसके गोदामों में काम करने वाले श्रमिकों को हर घंटे औसतन 15 डॉलर यानी करीब 1000 रुपए मिलते हैं, जिसमें वेतन और अन्य भत्ते भी शामिल हैं। हालांकि प्रति घंटे 15 डॉलर का वेतन बहुत होता है, लेकिन अमरीका जैसे देश में एक परिवार को मूलभूत सुविधाएं पूरी करने के लिहाज से यह बहुत कम है। यह एक बहुत बड़ी समस्या है।  

अब असली मुद्दे पर आते हैं कि आखिर जेफ बेजोस इस अकूत संपत्ति को कहां और कैसे खर्च करेंगे, जिससे इस समस्या को सुलझाया जा सके। 'विनर्स टेक ऑल' नामक पुस्तक के लेखक आनंद गिरिधर दास ने इस समस्या से उबरने के लिए कुछ लचीली आर्थिक नीतियों का सुझाव दिया है, जिसमें यूनियनों की मजबूती, न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी, शिक्षा के लिए समान भुगतान और ज्यादा प्रगतिशील टैक्स सिस्टम पर जोर दिया गया है।  

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