नेपाल सियासी संकटः PM ओली के मास्टर स्ट्रोक से डरा चीन, विवाद सुलझाने भेजी 'चाणक्य फौज'

Edited By Tanuja,Updated: 28 Dec, 2020 02:34 PM

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नेपाल में सियासी संकट चरम पर पहुंच चुका है और इस बीच चीन की  दखलअंदाजी भी खुलकर सामने आ गई है।  चीनी राजदूत हाओ यांकी

 इंटरनेशनल डेस्कः नेपाल में सियासी संकट चरम पर पहुंच चुका है और इस बीच चीन की  दखलअंदाजी भी खुलकर सामने आ गई है।  चीनी राजदूत हाओ यांकी के बल पर  ओली को अपने इशारों पर नचाने वाले ड्रैगन को तब जोरदार झटका लगा  जब भारत और अमेरिका का साथ पाकर  ओली ने संसद को भंग कर दिया । ओली के ऐसे मास्‍टर स्‍ट्रोक  की  चीन ने कभी कल्‍पना भी नहीं की थी। ओली के इस मास्‍टर स्‍ट्रोक  से घबराए चीन ने  आज चीनी मंत्री के साथ अधिकारियों की  "चाणक्य फौज"  को आनन-फानन में नेपाल भेज दिया है।

 

चीन के उपमंत्री गुओ येझु ने की ताबड़तोड़ बैठकें 
चीन ने सत्‍तारूढ़ नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी में जारी विवाद को सुलझाने के लिए यह 'फौज' भेजी  है। PPE सूट पहनकर चार्टर्ड विमान से काठमांडू पहुंचे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के उपमंत्री गुओ येझु ताबड़तोड़  बैठकें करने में लगे हुए हैं। उपमंत्री गुओ अभी तक राष्‍ट्रपति ब‍िद्यादेवी भंडारी,  PMओली, उनके विरोधी पुष्‍प कमल दहल प्रचंड के साथ बैठक कर चुके हैं। काठमांडू पोस्‍ट के मुताबिक चीनी उप मंत्री ने सोमवार को नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के शीर्ष नेताओं से दिनभर मुलाकात की। मंगलवार को भी उनका अन्‍य नेताओं के साथ मुलाकात करने का कार्यक्रम है। चीनी मंत्री की पूरी कोशिश है कि नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के दोनों ही धड़ों को साथ लाया जाए। इससे पहले 20 दिसंबर को पीएम ओली के संसद को भंग करने के फैसले से कम्‍युनिस्‍ट पार्टी स्‍पष्‍ट रूप से दो फाड़ हो गई है।

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भारत ने भी पैनी नजर
इस बीच नेपाल की आंतरिक राजनीति में चीन के सीधे-सीधे हस्‍तक्षेप पर भारत ने भी अपनी पैनी नजर बना रखी है।  इस बीच भारत ने नेपाल के राजनीतिक संकट को आंतरिक मामला बताते हुए हस्‍तक्षेप नहीं करने का फैसला किया है। इसके बाद भी भारत ने चीन के बढ़ते हस्‍तक्षेप पर पैनी नजर बनाई हुई है। मीडिया  रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सप्‍ताह ही नेपाल में भारत के राजदूत विनय क्‍वात्रा ने पीएम ओली से मुलाकात के बाद नई दिल्‍ली की यात्रा की थी। इसके बाद ऐसी अटकलें लगाई गई थीं कि भारतीय राजदूत पीएम ओली का संदेश लेकर दिल्‍ली आए थे। पूर्व राजनयिकों का कहना है कि भारत ने चीन के विपरीत सार्वजनिक रूप से पूरे मामले में नहीं कूदकर सही कदम उठाया है।

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 शी जिनपिंग ने खास मकसद से भेजी "फौज"
यह वही नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी है जिसके गठन के लिए चीन ने  वर्ष 2018 में ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। यही नहीं चीन ने जिस उपमंत्री गुओ येझु को नेपाल भेजा है उन्‍होंने ही ओली और प्रचंड की पार्टियों को वर्ष 2018 में मिलाकर नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी बनाने में बेहद अहम भूमिका निभाई थी। सूत्रों के मुताबिक चीनी नेता नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी में टूटने की स्थिति से बेहद चिंतित हैं और जानना चाहते हैं कि बदलते  समीकरणों  के बीच इस संभावित राजनीतिक अस्थिरता का नेपाल-चीन रिश्‍तों पर क्‍या असर पड़ेगा।  गूओ येझोउ चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बेहद खास माने जाते हैं। ये चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्‍ट्रीय विभाग के उप मंत्री भी हैं। इनकी ही पहल पर नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ ऑनलाइन ट्रेनिंग सेशन आयोजित किया था। इसके अलावा ये चीन की तरफ से कम्युनिस्ट देशों से संपर्क के भी प्रमुख हैं। इस बार गूओ येझोउ के साथ चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी नेपाल पहुंचा है।

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ओली पर दबाव बना रहा चीन
बताया जा रहा कि मंत्री के अलावा 11 अन्‍य चीनी अधिकारी ओली सरकार पर दबाव डालने के लिए नेपाल पहुंचे हैं। नेपाल पर करीबी नजर रखने वालों का कहना है कि चीनी राष्‍ट्रपति के नेतृत्‍व में चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी चाहती है कि पीएम ओली की सरकार संसद को भंग करने के आदेश को वापस ले। इसके बदले में चीन ओली को 5 साल पीएम बने रहने का गारंटी देना चाहता है। नेपाल में 30 अप्रैल और 10 मई को चुनाव कराए जाने का ऐलान हो चुका है और चीनी प्रतिनिधिमंडल यह जानने का प्रयास कर रहा है कि क्‍या चुनाव संभव है। देश में मध्‍यावधि चुनाव कराए जाने ओली को छोड़कर बाकी सभी दल विरोध कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक ओली जहां अब चीनी हस्‍तक्षेप के सामने झुकने के मूड में नहीं हैं, वहीं प्रचंड स्‍पष्‍ट रूप से लगातार चीन से वर्तमान राजनीतिक संकट में हस्‍तक्षेप की गुहार लगा रहे हैं।

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जिनपिंग के खास दूत पहुंचते ही नेपाल में विरोध शुरू, सड़कों पर उतरे लोग 
चीन के विशेष दूत का नेपाल दौरा देश के आंतरिक मामलों में ड्रैगन के सीधे दखल के रूप में देखा जा रहा है। जिनपिंग के खास दूत सबसे पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और उनके प्रमुख प्रतिद्वंदी पुष्प कमल दहल प्रचंड से मुलाकात कर सुलह करवाने का प्रयास करेंगे। इसके लिए काठमांडू में तैनात चीनी राजदूत हाओ यांकी ने पहले से ही पीएम ओली और दहल से मिलने का समय मांगा है।

 

बताया जा रहा है कि दहल ने गूओ येझोउ से मुलाकात करने की हामी भर दी है, जबकि ओली की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। इससे पहले नेपाल के हुमला इलाके में चीन के जमीन कब्जाने की घटना के बाद भी काठमांडू की सड़कों पर बड़ी संख्या में नेपालियों ने विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान लोगों ने चीनी दूतावास के बाहर गो बैक चाइना के नारे भी लगाए थे। चीन ने नेपाल के हुमला इलाके में कम से कम 9 बिल्डिंग्स का निर्माण किया है। हालांकि नेपाल सरकार ने अपने ही अधिकारियों के रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा था कि चीन ने कोई भी कब्जा नहीं किया है।
 

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