Edited By Tanuja,Updated: 30 Jan, 2019 04:15 PM
समुद्र में तैरती हुई सुरंग का सपना अब जल्द साकार होने जा रहा है । इसे पूरा करने की ओर आगे बढ़ रहा है नार्वे। इस परियोजना पर काम कर रही सरकारी संस्था नॉर्वेजियन पब्लिक रोड्स एडमिनिस्ट्रेशन का लक्ष्य 2050 तक इसका निर्माण पूरा करना है...
ओस्लोः समुद्र में तैरती हुई सुरंग का सपना अब जल्द साकार होने जा रहा है । इसे पूरा करने की ओर आगे बढ़ रहा है नार्वे। इस परियोजना पर काम कर रही सरकारी संस्था नॉर्वेजियन पब्लिक रोड्स एडमिनिस्ट्रेशन का लक्ष्य 2050 तक इसका निर्माण पूरा करना है। अगर ये सुरंग तैयार हो गई तो वाकई ये किसी अजूबे से कम नही होगा। कंकरीट से तैयार होने वाली इस सुरंग में दो लेन बनाई जाएंगी।
100 फुट की गहराई में स्थापित होने वाली यह सुरंग 205 किलोमीटर लंबी होगी। सुरंग को नियंत्रित करने के लिए पानी की सतह पर पीपे के पुल तैयार किए जाएंगे। इन पुलों के बीच पर्याप्त दूरी होगी ताकि समुद्री जहाज इनके बीच से गुजर सकें। यह सुरंग इतनी मजूबत होगी कि इस पर किसी भी प्रकार के मौसम का कोई असर नहीं होगा। इसके निर्माण में चालीस अरब डॉलर की लागत आएगी। नार्वे यदि इस परियोजना में सफल हो जाता है तो वह विश्व का पहला ऐसी सुरंग बनाने वाला देश हो जाएगा। चीन, दक्षिण कोरिया, इटली और इंडोनेशिया भी इस परियोजना पर काम कर रहे हैं।
पश्चिम नार्वे में स्थित क्रिस्टियानसैंड और ट्रॉनहेम नामक दो शहरों के बीच यात्रा ई 39 मार्ग का हिस्सा है, जो नॉर्वे के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है। सुरंग बनाने का मकसद इन दोनों शहरों को जोड़ना है। जिनके बीच की दूरी करीब 1100 किलोमीटर है, जिसे तय करने में 21 घंटे लगते हैं। लेकिन इस सुरंग के बनने के बाद ये दूरी महज कुछ घंटों की रह जाएगी। समुद्र में तैरती हुई सुरंग के निर्माण का विचार कोई नया नहीं है। 1882 में, ब्रिटिश नौसैनिक आर्किटेक्ट एडवर्ड रीड ने भी एक ऐसी ही सुरंग का प्रस्ताव रखा था।