Edited By Harman Kaur,Updated: 20 Jun, 2025 04:58 PM
पश्चिम एशिया में ईरान और इजरायल के बीच चल रहा तनाव अब एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। शुक्रवार सुबह ईरान की राजधानी तेहरान के गिशा इलाके में हुए एक जबरदस्त विस्फोट में एक वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक की मौत हो गई। इजरायली मीडिया के अनुसार, इस हमले को...
इंटरनेशनल डेस्क: पश्चिम एशिया में ईरान और इजरायल के बीच चल रहा तनाव अब एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। शुक्रवार सुबह ईरान की राजधानी तेहरान के गिशा इलाके में हुए एक जबरदस्त विस्फोट में एक वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक की मौत हो गई। इजरायली मीडिया के अनुसार, इस हमले को अंजाम इजरायल की सेना IDF (Israel Defense Forces) ने दिया।
इजरायली अधिकारियों के हवाले से खबर है कि यह हमला ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े एक बड़े वैज्ञानिक को निशाना बनाकर किया गया था और प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, वह वैज्ञानिक मारा गया है। हालांकि, ईरान सरकार की ओर से इस विस्फोट पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई है।
ईरान की सख्त चेतावनी
इस हमले के बाद ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने इज़रायल को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इज़रायल ने हमले बंद नहीं किए, तो ईरान को और कठोर जवाब देने पर मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि क्षेत्र में शांति तभी संभव है जब इज़रायल बिना शर्त हमले रोक दे।
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने भी स्पष्ट किया कि इजरायल के हमले जारी रहने तक अमेरिका सहित किसी भी देश के साथ कूटनीतिक बातचीत संभव नहीं है। अराघची ने यह भी बताया कि अमेरिका लगातार बातचीत के प्रयास कर रहा है, लेकिन ईरान ने साफ कह दिया है कि "जब तक ज़ायोनिस्ट शासन के हमले जारी रहेंगे, कोई वार्ता नहीं होगी।"
अमेरिका पर भी आरोप
अराघची ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पुराने बयानों का हवाला देते हुए कहा कि अमेरिका इजरायल का सीधा साझेदार है और उसने कई बार स्वीकार किया है कि ऐसे हमलों में उसकी भी भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की भूमिका हमलावर की है, न कि शांति के समर्थक की।
ईरान के विदेश मंत्री ने कहा कि उनका देश आत्मरक्षा की स्थिति में है और उनका मिसाइल सिस्टम केवल सैन्य ठिकानों को निशाना बना रहा है, न कि आम नागरिकों या अस्पतालों को। यदि इजरायल ईरान की आर्थिक इकाइयों पर हमला करता है, तो ईरान भी इजरायल के आर्थिक ढांचे को जवाबी निशाना बनाएगा। ईरान ने यूरोपीय देशों के साथ संवाद की इच्छा जाहिर की है, लेकिन ज़ोर देकर कहा है कि अमेरिका से बातचीत का कोई सवाल ही नहीं उठता, जब तक इजरायल के हमले बंद नहीं होते।