Edited By Tanuja,Updated: 14 Aug, 2021 11:34 AM
पाकिस्तान अगले महीने अपनी पहली महिला सुप्रीम कोर्ट की जज की नियुक्ति करने की तैयारी में लेकिन पाक नागरिक इससे नाखुश हैं और इस ...
इस्लामाबाद: पाकिस्तान अगले महीने अपनी पहली महिला सुप्रीम कोर्ट की जज की नियुक्ति करने की तैयारी में लेकिन पाक नागरिक इससे नाखुश हैं और इस फैसले को "भ्रष्ट और समझौता" करार दिया है। पाकिस्तानी अखबार डॉन के अनुसार मलिक यदि शीर्ष अदालत में पदोन्नत होती हैं तो वे मार्च 2031 तक सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनी रहेंगी। पाकिस्तानियों का कहना है कि न्यायमूर्ति आयशा मलिक जो लाहौर उच्च न्यायालय की वरिष्ठता सूची में चौथे स्थान पर हैं, के पास पर्याप्त योग्यता नहीं है लेकिन राजनीति दाव के तहत उनको पदोन्नित दी जा रही है "।
पाकिस्तान की अदालत के वरिष्ठ वकील ने नाम न छापने की शर्त पर इसे सकारात्मक खबर बताया। हालांकि उन्हें डर था कि विभिन्न बार काउंसिल और एसोसिएशन वरिष्ठता सिद्धांत के सवाल पर इस कदम का विरोध कर सकते हैं क्योंकि एक बार फिर एक कनिष्ठ न्यायाधीश को उच्च न्यायालय से पदोन्नत किया जा रहा है। जबकि पाकिस्तानियों ने न्यायमूर्ति मलिक को भ्रष्ट कहा और "वाणिज्यिक और कर मामलों" का आकलन करने में उनकी क्षमता पर सवाल उठाया। एक सोशल मीडिया यूजर अली रजा ने लिखा, "क्या आपको आयशा मलिक याद है, एलएचसी जस्टिस जिन्होंने शरीफ परिवार के खिलाफ दक्षिण पंजाब में चीनी मिलें नहीं लगाने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था? जस्टिस मुशीर आलम की सेवानिवृत्ति के बाद अगले महीने उन्हें एससीपी में पदोन्नत करने की सिफारिश की जाएगी।"
वकार अशरफ नाम के एक अन्य यूजर ने लिखा, मनी लॉन्डरर शाहबाज भाई को जमानत देने का ऐतिहासिक फैसला इसी जज ने दिया था।" जबकि अफिया सलाम नाम की एक पत्रकार ने लिखा, "अगर प्रक्रिया का पालन किया जाता है तो मैं जश्न मनाऊंगा । वह एक शानदार न्यायाधीश हैं लेकिन यहां उनके खिलाफ राजनीतिक दांवपेच खेले जा रहे हैं जो दुख की बात है।"
बता दें कि न्यायधीश मुशीर आलम इसी महीने 17 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं। चीफ जस्टिस की सिफारिश पर पाकिस्तान की न्यायिक समिति ने आयशा मलिक के पदोन्नत पर मुहर भी लगा दी है। आयशा ना केवल सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनेंगी बल्कि निकट भविष्य में वह पहली महिला मुख्य न्यायधीश भी बन सकती हैं। वैसे 15 अगस्त को अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे भारत के सुप्रीम कोर्ट में अब तक आठ महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई महिला जज देश की चीफ जस्टिस नहीं बनी है।
मार्च 2012 में आयशा मलिक को बतौर जस्टिस लाहौर हाई कोर्ट में पदोन्नत किया गया थाय़ लाहौर हाईकोर्ट में जस्टिस बनने के बाद उन्होंने संवैधानिक, कर, पर्यावरण और नियामक जैसे कई मामलों को डील किया है । हाल ही में जस्टिस मलिक ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसमें उन्होंने एक बलात्कार के मामले में टू-फिंगर टेस्ट को अवैध और पाकिस्तान के संविधान के खिलाफ घोषित किया था।