Edited By PTI News Agency,Updated: 17 May, 2020 07:40 PM
वाशिंगटन, 17 मई (भाषा) अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक हफ्ते में दूसरी बार अपने उत्तराधिकारी डोनाल्ड ट्रम्प की कोरोना वायरस के संकट से निपटने के तरीके की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह महामारी दिखाती है कि कई अधिकारी ‘‘प्रभारी...
वाशिंगटन, 17 मई (भाषा) अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक हफ्ते में दूसरी बार अपने उत्तराधिकारी डोनाल्ड ट्रम्प की कोरोना वायरस के संकट से निपटने के तरीके की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह महामारी दिखाती है कि कई अधिकारी ‘‘प्रभारी होने का दिखावा भी नहीं कर रहे हैं।’’
ओबामा ने कोरोना वायरस के संकट से निपटने के तरीके की आलोचना ट्रम्प का नाम लिए बिना की। इससे एक हफ्ते पहले ही ओबामा ने निजी तौर पर प्रशासन की आलोचना की थी।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका में कोरोना वायरस से अबतक करीब 88 हजार लोगों की मौत हो चुकी है, जो दुनिया के किसी एक देश में कोविड-19 से हुई मौतों के मामले में सबसे अधिक है। अमेरिका में ही सबसे अधिक 14.6 लाख लोग कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज हैं।
ओबामा ने ऐतिहासिक रूप से अश्वेतों के रहे दर्जनों महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के स्नातकों को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि कोविड-19 ने देश के नेतृत्व की असफलता को सबके सामने रख दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘इस महामारी ने इस बात से पूरी तरह से पर्दा हटा दिया है कि कई प्रभारी अधिकारी जानते हैं कि वे क्या कर रहे हैं। उनमें से कई प्रभारी होने का दिखावा तक नहीं कर रहे हैं।’’
ओबामा ने कहा, ‘‘अगर दुनिया बेहतर होती है तो यह आपकी वजह से होगी।’’
उल्लेखनीय है कि व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कायले मैकनेनी ने शनिवार को राष्ट्रपति ट्रम्प के कार्यों को रेखांकित करते हुए कहा था कि कोरोना वायरस की महामारी के दौरान असाधारण पहल से जानें बची हैं।
ओबामा ने देर शनिवार ‘ग्रेजुएट टुगेदर’’ कार्यक्रम में कहा, ‘‘आप जानते हैं, वे सभी वयस्क जिन्हें आप प्रभारी मानते हैं और जानते हैं कि वे क्या करते हैं उनके पास सभी सवालों के जवाब नहीं है। उनमें से बहुत सही सवाल भी नहीं पूछ रहे हैं।’’
गौरतलब है कि ओबामा अमेरिका के पहले अफ्रीकी-अमेरिकी मूल के राष्ट्रपति थे।
उन्होंने कोरोना वायरस की महामारी का अश्वेतों पर पड़ रहे असर को भी रेखांकित किया।
ओबामा ने पिछले हफ्ते ट्वीट किया था, ‘‘ अमेरिका के इतिहास में अबतक का सबसे बड़ा राजनीतिक अपराध।’’
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