कुलभूषण जाधव को अपील का अधिकार देने के लिए पाक नेशनल असेंबली ने विधेयक पारित किया

Edited By PTI News Agency,Updated: 11 Jun, 2021 02:59 PM

pti international story

: सज्जाद हुसैन :

: सज्जाद हुसैन :
इस्लामाबाद, 11 जून (भाषा)
पाकिस्तान की सरकार ने सजायाफ्ता भारतीय कैदी कुलभूषण जाधव को अपील का अधिकार देने के लिए विपक्ष के हंगामे और बहिष्कार के बीच नेशनल असेंबली में एक विधेयक पारित कराया है।
संसद के निचले सदन ने अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (समीक्षा एवं पुनर्विचार) विधेयक, 2020 को बृहस्पतिवार को पारित किया। विधेयक का लक्ष्य कथित भारतीय जासूस जाधव को अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) के फैसले के अनुरूप राजनयिक पहुंच उपलब्ध कराना है।

भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी, 51 वर्षीय जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी एवं आतंकवाद के आरोपों में अप्रैल 2017 में दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच न देने और मौत की सजा को चुनौती देने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ आईसीजे का रुख किया था।

द हेग स्थित आईसीजे ने जुलाई 2019 में फैसला दिया कि पाकिस्तान को जाधव को दोषी ठहराने और सजा सुनाने संबंधी फैसले की ‘‘प्रभावी समीक्षा एवं पुनर्विचार” करना चाहिए और बिना किसी देरी के भारत को जाधव के लिए राजनयिक पहुंच उपलब्ध कराने देने का भी अवसर देना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अपने 2019 के फैसले में पाकिस्तान को, जाधव को दी गई सजा के खिलाफ अपील करने के लिए उचित मंच उपलब्ध कराने को कहा था।

नेशनल असेंबली ने विधेयकों के पर्याप्त अध्ययन की मांग को लेकर विपक्षी सांसदों के विरोधों को दरकिनार करते हुए बृहस्पतिवार की शाम इस विधेयक समेत 21 अन्य विधेयक भी पारित किए। सरकार ने 21 विधेयकों को एक ही बैठक में पारित कराने के लिए विधेयक संबंधी काम-काज के नियमों को स्थगित कर दिया।
विधेयक पारित होने के बाद, कानून मंत्री फरोग नसीम ने कहा कि अगर उन्होंने विधेयक पारित नहीं किया होता तो भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद चला जाता और आईसीजे में पाकिस्तान के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू कर देता। नसीम ने कहा कि विधेयक आईसीजे के फैसले के मद्देनजर पारित किया गया है। उन्होंने कहा कि विधेयक पारित कर उन्होंने दुनिया को साबित कर दिया कि पाकिस्तान एक “जिम्मेदार राष्ट्र” है।

नेशनल असेंबली ने चुनाव (सुधार) विधेयक समेत 20 अन्य विधेयक भी पारित किए। विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया और तीन बार कोरम (कार्यवाही के दौरान उपस्थित सदस्यों की तय से कम संख्या) की कमी की ओर इशारा किया लेकिन हर बार सदन के अध्यक्ष ने सदन में पर्याप्त संख्या घोषित की और काम-काज जारी रखा जिस पर विपक्ष ने भारी हंगामा किया।
विपक्षी सदस्य अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए और नारेबाजी की।

सरकार के कदम की आलोचना करते हुए पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सांसद एहसान इकबाल ने कहा कि जाधव को राहत देने के लिए विधेयक को भारी विधायी एजेंडा में शामिल किया गया। इकबाल ने कहा कि यह व्यक्ति विशेष विधेयक था और जाधव का नाम विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण में शामिल था। उन्होंने कहा कि जब देश का कानून उच्च न्यायालयों को सैन्य अदालतों द्वारा सुनाई गई सजा की समीक्षा का अधिकार देता है तो इस विधेयक को लाने की क्या जरूरत थी।

जाधव के मामले में आईसीजे के फैसले के तुरंत बाद पिछले साल मई में सरकार ने अध्यादेश लाकर कानून को पहले ही अमल में ला दिया था।

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने अध्यक्ष से सदस्यों को विधेयक का अध्ययन करने के लिए कुछ वक्त देने को कहा। उन्होंने, पहले अध्यादेश के माध्यम से विधेयक लाने और फिर विधेयक पारित कर जाधव को राहत देने के लिए सरकार की आलोचना की।

कानून मंत्री नसीम ने कहा कि वह विपक्ष का आचरण देख कर स्तब्ध रह गए और ऐसा लगता है कि विपक्ष ने आईसीजे का फैसला नहीं पढ़ा। तकनीकी या कानूनी दृष्टि से, विधेयक के पारित होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि सरकार आईसीजे के फैसले को लागू करने के लिए मई 2020 में पहले ही विशेष अध्यादेश ला चुकी है।

नेशनल असेंबली में विधेयक पारित होना कानून को अंतिम रूप देने की दिशा में महज एक कदम है।

इसे अब सीनेट में प्रस्तुत किया जाएगा और अगर ऊपरी सदन बिना किसी संशोधन के इसे पारित करता है तो इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।

अगर सीनेट संशोधन के साथ इसे पारित करती है तो यह बदलावों के साथ पारित करने कि लिए फिर से नेशनल असेंबली में लाया जागएा।

अगर दोनों सदनों के बीच सहमति नहीं बनती है तो एक संयुक्त बैठक में विधेयक को साधारण बहुमत के साथ पारित किया जाएगा।



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