ट्रंप ने पाक के बाद फलस्तीन को दी अमरीकी वित्तीय सहायता में कटौती की धमकी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jan, 2018 09:41 PM

trump threatens palestinian to cut us financial aid

अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस्राइल के साथ शांति वार्ता बहाल नहीं करने तक फलस्तीन को दी जाने वाली वित्तीय सहायता में कटौती करने की धमकी दी है। साथ ही, उन्होंने यरूशलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के अपने फैसले पर वैश्विक...

वाशिंगटन: अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस्राइल के साथ शांति वार्ता बहाल नहीं करने तक फलस्तीन को दी जाने वाली वित्तीय सहायता में कटौती करने की धमकी दी है। साथ ही, उन्होंने यरूशलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के अपने फैसले पर वैश्विक नाराजगी को भी खारिज कर दिया।

फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी को दिए जाने वाली रकम में अमरीका सबसे बड़ा योगदान करता है। इसने 2016 में छत्तीस करोड़ अस्सी लाख डॉलर से अधिक दिया। अमरीका फलस्तीनियों का सबसे बड़ा वित्त प्रदाता है।

ट्रंप ने पिछले महीने यरूशलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दी थी जबकि अरब नेताओं ने इसके खिलाफ चेतावनी दी थी। फलस्तीनी पूर्वी यरूशलम को अपने भविष्य की राजधानी के तौर पर देखते हैं। ट्रंप ने बीते मंगलवार रात ट्वीट कर कहा, ‘‘हम फलस्तीन को प्रत्येक वर्ष करोड़ों डॉलर देते हैं और बदले में हमें कोई आदर या प्रसंशा नहीं मिलती। वे इस्राइल के साथ लंबित शांति समझौता पर बात तक करने के लिए राजी नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमनें वार्ता के सबसे कठिन हिस्से यरुशलम को बातचीत से अलग कर दिया, इस्राइल को इसके लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी। लेकिन फलस्तीन के शांति वार्ता के लिए राजी नहीं होने की सूरत में क्यों हम उन्हें भविष्य में इस तरह के भारी भुगतान करें।’’ ट्रंप के पिछले महीने के फैसले ने फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास को अमरीकी उप राष्ट्रपति माइक पेंस के साथ दिसंबर में बैठक करने की एक योजना रद्द करने के लिए प्रेरित किया।

वहीं, संयुक्त राष्ट्र में अमरीकी राजदूत निक्की हेली ने बुधवार को कहा कि यदि फलस्तीन शांति समझौते से इनकार करता रहा तो अमरीकी सहायता में कटौती करेगा। निक्की ने न्यूयॉर्क में संरा मुख्यालय में कहा, ‘‘मेरा मानना है कि राष्ट्रपति ने मूल रूप से यह कहा है कि जब तक फलस्तीन शांति वार्ता के लिए राजी नहीं हो जाता वह कोई अतिरिक्त धन नहीं देना चाहते या सहायता को रोकना चाहते हैं।’’फलस्तीन को मिलने वाली अमरीकी सहायता का मकसद अमरीकी कांग्रेस के हित वाली कम से कम तीन अमरीकी नीतियों का प्रचार-प्रसार करना है। 

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