Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Mar, 2018 11:46 AM
वैज्ञानिकों को मानना है कि ग्रेट बैरियर रीफ को खराब होने और कोरल ब्लीचिंग से बचाने के लिए एक पतली झिल्ली/ परत का प्रयोग किया जा सकता है जो मनुष्य के केश के मुकाबले 50,000 गुना पतली होगी। ऑस्ट्रेलिया के इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन बायोलॉजी के वैज्ञानिकों का...
सिडनी: वैज्ञानिकों को मानना है कि ग्रेट बैरियर रीफ को खराब होने और कोरल ब्लीचिंग से बचाने के लिए एक पतली झिल्ली/ परत का प्रयोग किया जा सकता है जो मनुष्य के केश के मुकाबले 50,000 गुना पतली होगी। ऑस्ट्रेलिया के इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन बायोलॉजी के वैज्ञानिकों का कहना है कि परीक्षण के दौरान पता चला है कि कैल्सियम कार्बोनेट से बनी यह पतली झिल्ली कोरल रीफ को ब्लीच होने से बचा सकती है। दरअसल कोरल रीफ या मूंगे के पहाड़ भी कैल्सियम कार्बोनेट के ही बने होते हैं। गौरतलब है कि जलवायु परिवर्तन से समुद्र का तापमान बढऩे के कारण कोरल ब्लीचिंग हो रही है और ग्रेट बैरियर रीफ खराब हो रहा है।
ग्रेट बैरियर रीफ फाउंडेशन की प्रबंध निदेशक एन्ना मार्सडेन का कहना है कि इस झिल्ली को इस तरह से तैयार किया गया है कि वह उसे सीधे तौर पर कोरल रीफ के ऊपर नहीं लगाया जाएगा। यह उसके ऊपर पानी में तैरती रहेगी और उसे सूरज के सीधे संपर्क में आने से बचाएगी। परीक्षण के दौरान सात अलग-अलग तरह की कोरल प्रजातियों पर इसका इस्तेमाल किया गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि यह झिल्ली कोरल (मंगू की पहाड़) पर पड़ने वाली सूरज की रोशनी में30 प्रतिशत तक की कमी ला रही है और इसकी मदद से ज्यादातर प्रजातियों में ब्लीचिंग में कमी आई है। उनका कहना कि हालांकि यह संभव नहीं है कि पूरे कोरल रीफ बैरियर की सुरक्षा की जा सके, लेकिन हम इस झिल्ली/ परत को ज्यादा संवेदनशील और खतरे वाले स्थानों पर इस्तेमाल कर सकते हैं।