अमेरिका चुनावः अगर ट्रंप हारे तो क्या होगा इन देशों पर असर ?

Edited By Tanuja,Updated: 05 Nov, 2020 12:39 PM

what will be the impact of trump s defeat on these countries

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव परिणाम के लिए मतगणना जोरों पर है। अब तक घोषित नतीजों में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट ...

वॉशिंगटनः अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव परिणाम के लिए मतगणना जोरों पर है। अब तक घोषित नतीजों में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन के बीच कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है। अभी तक की मतगणना में किसी भी उम्मीदवार को 270 का जादुई आंकड़ा नहीं मिल सका है। हालांकि वोट हासिल करने के मामले में बाइडेन ने अमेरिकी इतिहास के सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। रुझान के मुताबिक अगर ट्रंप की विदाई होती है तो कई देशों पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। दरअसल ट्रंप का रूख भारत, इसराईल, तुर्की, उत्तर कोरिया जैसे देशों के लिए हमेशा से सकारात्मक रहा है। ऐसे में ट्रंप के जाने से उन देशों के लिए तत्काल समस्या खड़ी हो सकती है। नए राष्ट्रपति अपनी विदेश नीति खुद तय करेंगे। ऐसे में वे ट्रंप से इतर भी कोई फैसला ले सकते हैं।

 

 मुस्लिम देश
कहा जाता है कि यदि कोई राजनीतिक संरक्षण के लिए ट्रंप पर मोहम्मद बिन सलमान से ज्यादा निर्भर करता है तो वह तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन हैं। नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) के सहयोगी होने के बाद भी तुर्की ने रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा है। ऐसे में यूएस कांग्रेस ने तुर्की पर प्रतिबंध लगाए जाने की वकालत की थी, लेकिन ट्रंप ने इसे लागू करने से मना कर दिया था। अपने व्यक्तिगत संबंधों से ही उन्होंने ट्रंप को सीरिया के कुर्द क्षेत्रों से अमेरिकी सैनिकों को वापस लेने के लिए मनाया था ताकि तुर्की उन क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण कर सके। ट्रंप ने सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई में पेंटागन या अमेरिकी सहयोगियों से सलाह किए बिना ही यह निर्णय लिया था।

 

जबकि इसमें ब्रिटेन, फ्रांस और कुर्द लड़ाके भी शामिल थे। तुर्की ट्रंप ने 2017 में अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए सऊदी अरब को चुना था। ट्रंप के नेतृत्व में वॉशिंगटन और रियाद के रिश्ते तेजी से मजबूत हुए। खासकर जब ट्रंप ने ईरान के ऊपर नए प्रतिबंधों का ऐलान किया तो इससे सऊदी अरब को काफी फायदा पहुंचा। जमाल खशोगी की हत्या के मामले में जब अमेरिकी संसद ने मोहम्मद बिन सलमान के ऊपर प्रतिबंध लगाने की संतुस्ति की तो उसे ट्रंप ने वीटो कर दिया। वहीं, बाइडेन के आने से ईरान के साथ अमेरिका नई डील कर सकता है। इससे सबसे ज्यादा नुकसान सऊदी अरब को ही होगा। बाइडेन मानवाधिकार के मुद्दे पर भी मुखर रहे हैं। ऐसे में अगर मोहम्मद बिन सलमान के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी।

 

चीन
हाल के दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप चीन पर कुछ ज्यादा ही आक्रामक हैं। वह चीनी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ा रहे हैं। जबकि उसके सभी दुश्मन देशों को हथियार और खुफिया सूचना भी उपलब्ध करवा रहे हैं। फिर भी चीनी अधिकारियों ने कहा कि संतुलन के कारण उनका नेतृत्व ट्रंप को ही राष्ट्रपति के रूप में देखना चाहता है। अमेरिका फर्स्ट नीतियों का पालन करने के चक्कर में ट्रंप ने अपने देश को कई महत्वपूर्ण संस्थाओं से अलग कर लिया है। जिससे बनी खाली जगह को चीन ने भरा है। चाहें वह व्यापार हो या जलवायु परिवर्तन या फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन। जहां-जहां अमेरिका कमजोर पड़ा है वहां-वहां चीन मजबूत हुआ है। ऐसे में बाइडेन के आने से चीन को नुकसान उठाना पड़ सकता है। बाइडेन के बारे में कहा जाता है कि वे चीन पर दबाव बनाने के लिए अधिक समन्वित अंतरराष्ट्रीय मोर्चा बनाने की कोशिश करेंगे।

 

रूस
2016 के चुनाव में रूस की कथित मध्यस्थता के मामले में लंबी जांच हुई, लेकिन ट्रंप के अड़ियल रूख के कारण उसका कोई हल नहीं निकला। ट्रंप ने मूलत रूस के खिलाफ बने नाटो को कमजोर किया है। उन्होंने जर्मनी से अपनी सेना को वापस बुला लिया। जबकि अमेरिका ने जर्मनी समेत कई देशों के सुरक्षा का वादा किया हुआ है। हथियार नियंत्रण को लेकर भी ट्रंप ने रूस के साथ कई समझौतों को तोड़ा है जिससे रूस आधुनिक हथियारों का फिर से निर्माण कर रहा है। वहीं, आशा जताई जा रही है कि अगर बाइडेन राष्ट्रपति बने तो वे रूस के खिलाफ कई कठोर और सधे हुए कदम उठाएंगे। अमेरिका की विदेश नीति साल हा साल के लिए बनी रहती है ! उनकी एजेंसी मे एक्सपर्ट की भी कमी नहीं ! थोड़ा लिखा है ज्यादा समज मे लेना !

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