भारत ने किया रिकॉर्ड चावल निर्यात

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jan, 2018 11:29 AM

india records rice export

वर्ष 2017 में भारत का चावल निर्यात 22 प्रतिशत बढ़कर 123 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। उद्योग से जुड़े अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि बाढ़ से फसल खराब होने के कारण बांग्लादेश ने चावल की ज्यादा खरीदारी की है। इससे भारत का कुल निर्यात बढ़...

नई दिल्लीः वर्ष 2017 में भारत का चावल निर्यात 22 प्रतिशत बढ़कर 123 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। उद्योग से जुड़े अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि बाढ़ से फसल खराब होने के कारण बांग्लादेश ने चावल की ज्यादा खरीदारी की है। इससे भारत का कुल निर्यात बढ़ गया। गौरतलब है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा अनाज निर्यातक देश है, और थाईलैंड दूसरे स्थान पर है। अधिकारियों का कहना है कि 2018 में भी बांग्लादेश और श्रीलंका से मांग बढऩे के कारण भारत के निर्यात में तेजी रहेगी। आंध्र प्रदेश स्थित प्रमुख चावल निर्यातक कंपनी श्री ललिता के कार्यकारी निदेशक एम अदिशंकर कहते हैं, '2017 में बांग्लादेश सक्रिय रूप से खरीदारी करता रहा। इससे अफ्रीकी देशों की ओर से मांग में आई कमी का प्रभाव कम हो गया।'

अधिकारियों और निर्यातकों का कहना है कि बांग्लादेश द्वारा खरीदारी के कारण 2017 में भारत का गैर-बासमती चावल निर्यात 38 प्रतिशत बढ़कर 84 लाख टन हो गया। साथ ही, कुल चावल निर्यात भी 123 लाख टन रहा। इस तरह यह 2014 के 115 लाख टन निर्यात के रिकॉर्ड से आगे निकल गया। ये आंकड़े सरकार द्वारा जारी जनवरी से नवंबर तक के आंकड़ों और दिसंबर के अनुमान पर आधारित हैं। दिसंबर के सरकारी आंकड़े फरवरी 2018 तक आने की संभावना है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय सेतिया का कहना है कि 2018 में भारत का चावल निर्यात मुख्यत: गैर-बासमती चावल पर निर्भर करेगा क्योंकि बासमती

चावल का निर्यात लगभग 40 लाख टन के आस-पास ही रहेगा। सेतिया कहते हैं, 'गैर-बासमती चावल का निर्यात बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे आयातक देशों में अनाज के भंडारण पर निर्भर करेगा।' एक वैश्विक फर्म के साथ कारोबार करने वाले मुंबई के व्यापारी का कहना है कि पिछले वर्ष अफ्रीकी देशों ने आयात के लिए थाईलैंड का रुख किया था, लेकिन इस बार थाईलैंड का चावल भंडार खत्म हो गया है जिससे भारत से चावल की मांग बढ़ेगी। वह कहते हैं, 'बांग्लादेश औक श्रीलंका जैसे प्रमुख बाजारों के लिए भारत थाईलैंड की अपेक्षा लाभ में है। इससे 2018 में भी सहायता मिलेगी।

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